28 जून को मगहर में कबीर जयंती के अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी के आने का कार्यक्रम है। इसके लिए जोर-शोर से तैयारियां की जा रही है। वहीं पीएम मोदी के मगहर दौर को लेकर विवाद प्रारंभ हो गया है। 28 जून को संत कबीर के प्राकट्य उत्सव के अवसर पर पीएम मोदी के मगहर दौरे पर वाराणसी स्थित कबीर मठ के महंत विवेक दास ने ही कई सवाल खड़े कर दिए हैं। कबीर मठ के महंत संत विवेक दास ने 28 जून को मगहर में पीएम मोदी द्वारा संत कबीर की जयंती मनाए जाने को गलत बताते हुए कहा कि यदि पीएम को संत कबीर की जयंती मनानी थी तो उनको मगहर के स्थान पर वाराणसी में आना चाहिए, क्योकि संत कबीर की जन्मस्थली काशी में है।

उन्होंने यह भी कहा कि, पीएम को यह जानना चाहिए कि मगहर में कबीर दास ने अपने जीवन के अंतिम दिनों को बताया था और उनके कार्यकाल के भी एक साल बचे है इसलिए अब उन्हें कबीर याद आ रहे है। महंत ने संतकबीर नगर से बीजेपी सांसद शरद त्रिपाठी पर कबीर मठ की जमीनों को कब्जा करने के आरोप लगाए हैं। साथ ही कहा है कि, वह पीएम मोदी को गुमराह कर रहे हैं। वैसे चर्चा ये भी है कि, कार्यक्रम में संत कबीर मठ का महंत होने के बावजूद विवेक दास और उनके अनुयायियों को आमंत्रण तक नहीं मिले हैं।

बीजेपी सांसद शरद त्रिपाठी का विवादों से पुराना नाता रहा है। वो जब पुरी हमले में शहीद गणेश शंकर यादव के घर श्रद्धांजलि देने गए तो वहां परिजनों को सांत्वना और मदद देने की बजाय, अंगोछा बिछाकर लोगों से चंदा इकट्ठा करने में जुट गए थे। इसके बाद अमर शहीद के परिवार को ही नहीं, वहां मौजूद सभी लोगों को सांसद शरद त्रिपाठी की ये हरकत बेहद नागवार और अपमानजनक लगी थी। शहीद के परिवार वालों ने कहा कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ, चंदे से मदद नहीं चाहिए। शहीद के परिजनों ने सासंद शरद त्रिपाठी को जम कर लताड़ लगाई थी कि, उन्हें भीख नहीं चाहिये तो सांसद महोदय वहां से भाग निकले थे।

हालांकि, बीजेपी सांसद शरद त्रिपाठी पर कबीर मठ की जमीनों को कब्जा करने के आरोपों में कितना दम है ये तो जांच के बाद सामने आयेगा। लेकिन कबीर की बात करने वाले कबीर को छटांस भर भी जान लें तो गंगा नहा लें, क्योंकि, सांसारिक मोहमाया से दूर निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक कबीर ने समाज को अपने दोहों के ज्ञान से रोशन किया। लेकिन अब कबीर को लेकर घमासान छिड़ा है। कोई कबीर की संपत्ति के हड़पने के आरोप लगा रहा है तो कोई खुद को इस वीवीआईपी कार्यक्रम में न्योता न मिलने से नाराज दिख रहा है। जबकि, हिंदी साहित्य की बड़ी विभूति कबीर को न तो धन की चिंता थी और न ही सम्मान की, क्योंकि उन्हें तो पूरा जग सम्मान से रोशन करने को व्याकुल रहता था। इस संसार का नियम भी यही है कि जिसका उदय हुआ है, उसका अस्त तो होगा ही।

कबीर ने कहे से हम भी थोड़ा अपना अज्ञान दूर कर लें.

हाड़ जलै ज्यूं लाकड़ी, केस जलै ज्यूं घासा

सब तन जलता देखि करि, भया कबीर उदासा

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