नोटबंदी के बाद आखिरकार असल में काले धन का क्या हुआ और बैंकों पर इसका क्या असर पड़ा यह अब जाकर आरबीआई के जवाब से मालूम हुआ है। नोटबंदी के नौ महीने बाद रिज़र्व बैंक ने इस सवाल का जवाब दिया है कि पांच सौ और एक हज़ार के कितने पुराने नोट वापस आए। अब रिजर्व बैंक ने बताया है कि नोटबंदी में रद्द हुए 99 फीसदी वापस आ चुके हैं। इन आंकड़ों के सामने आने के बाद विपक्ष ने नोटबंदी पर फिर से सवाल उठाए हैं।
दरअसल बुधवार को आरबीआई ने खुलासा किया है कि 500 रुपये और 1,000 रुपये के पुराने 99 फीसदी नोट वैधानिक तौर पर आरबीआई के पास लौट आए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक :
- नोटबंदी लागू होने के दिन 500 रुपये के 1,716.6 करोड़ नोट बाजार में थे, जबकि 1000 रुपये के 8 करोड़ नोट थे। इस तरह सिस्टम में कुल 15.44 लाख करोड़ रुपये के नोट प्रचलन में थे। आरबीआइ के मुताबिक नोटबंदी लागू होने के बाद सिस्टम में 15.28 लाख करोड़ रुपये के पुराने नोट (500 व 1000 रुपये) वापस हो चुके हैं। यानी प्रतिबंधित नोटों का 98.96 फीसद आ चुका है। केवल 16,050 करोड़ रुपये के वापस नहीं लौटे हैं।
- मसलन, नोट छापने की लागत दोगुनी हो गई है। वर्ष 2015-16 में नोट की छपाई लागत 3,421 करोड़ रुपये थी। यह लागत वर्ष 2016-17 में 7,965 करोड़ रुपये हो चुकी है। नक्कालों की हरकतों पर खास लगाम नहीं लग पाया है। उन्होंने 2000 रुपये के नए नोट की नकल भी तैयार कर ली है। आधिकारिक तौर पर 650 से ज्यादा दो हजार के नकली नोट पकड़े गए हैं। कुल पकड़े गए नकली नोटों में 20 फीसद से भी ज्यादा का इजाफा हुआ है।
इस पर पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम ने सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि क्या नरेंद्र मोदी सरकार ने नोटबंदी का यह फैसला काले धन को सफेद करने के लिए लिया था।
पी.चिदंबरम ने इसे लेकर कई ट्वीट किए, जिसमें उन्होंने कहा कि आरबीआई के पास जितनी राशि वापस आई है, उससे कहीं अधिक लागत नए नोटों को छापने में लग गई। चिदंबरम ने ट्वीट किया, “प्रतिबंधित किए गए 1,544,000 करोड़ रुपयों में से सिर्फ 16,000 करोड़ रुपये के नोट वापस नहीं आए, जो कुल प्रतिबंधित राशि का एक फीसदी है। नोटबंदी की सिफारिश करने वाली आरबीआई के लिए यह शर्म की बात है।” चिदंबरम ने तंज कसते हुए कहा, “आरबीआई ने 16,000 करोड़ रुपये कमाए, लेकिन नए नोटों की छपाई में 21,000 करोड़ रुपये गंवाए! अर्थशास्त्रियों को नोबल पुरस्कार दिया जाना चाहिए।” उन्होंने अगले ट्वीट में कहा, “99 फीसदी नोट वैधानिक तौर पर बदले जा चुके हैं! क्या नोटबंदी काले धन को सफेद करने के लिए बनाई गई योजना थी।”
Rs 16000 cr out of demonetised notes of Rs 1544,000 cr did not come back to RBI. That is 1%. Shame on RBI which 'recommended' demonetisation
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) August 30, 2017
RBI 'gained' Rs 16000 crore, but 'lost' Rs 21000 crore in printing new notes! The economists deserve Nobel Prize.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) August 30, 2017
99% notes legally exchanged! Was demonetisation a scheme designed to convert black money into white?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) August 30, 2017
वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि जो लोग अपने पूरे शासन में काले धन के खिलाफ एक कदम नहीं उठा पाए वे इस बात को नहीं समझ पाएंगे। नोटबंदी के बाद सिस्टम में जो राशि आई है वे सभी सफेद नहीं है। बैंकों में जमा राशि की सरकार बड़े पैमाने पर जांच कर रही है। प्रत्यक्ष आयकर संग्रह में 25 फीसद की बढ़ोतरी और डिजिटल पेमेंट में तेजी से वृद्धि से पता चलता है कि सरकार के कदम सही थे।
बता दें कि नोटबंदी लागू करने के पीछे सरकार ने एक अहम वजह यह बताई थी कि इससे काले धन पर लगाम लग सकेगी, क्योंकि जिन लोगों ने काले धन के तौर पर 500 व 1000 के नोट छिपाए हैं वे इसका इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। लेकिन अब ऐसा लगता है कि काले धन के कारोबारियों ने अपने नोटों को सिस्टम में किसी न किसी तरह से खपा ही लिया है क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो आठ नवंबर, 2016 को लागू नोटबंदी के बाद से अब तक बैंकों के पास 99 फीसद प्रतिबंधित 500 व 1000 के नोट वापस नहीं आ गए होते।