इस वित्तीय वर्ष Subsidy पर 5.32 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी सरकार, यहां पढ़ें इसका हिसाब-किताब…

यदि कोई अतिरिक्त व्यय की मांग नहीं की जाती है तो इस साल कुल Subsidy बिल 5,32,446 करोड़ रुपये तक चला जाएगा। इस साल खाद्य पर 2 लाख 87 हजार 179 करोड़, उर्वरक पर 2 लाख 14 हजार 511 करोड़ और पेट्रोलियम पर 30 हजार 756 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की उम्मीद है।

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इस वित्तीय वर्ष Subsidy पर 5.32 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी सरकार, यहां पढ़ें इसका हिसाब-किताब... - APN News
Ministry of Finance - Subsidy

केंद्र सरकार द्वारा इस इस साल (2022-23) देश में सब्सिडी (Subsidy) पर 5 लाख 32 हजार 446 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की उम्मीद है। जो 2020-21 में खर्च किए गए 7 लाख 06 हजार 006 करोड़ रुपये के बाद दूसरा सबसे बड़ा खर्च होगा। एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत (India) इन दिनों कमोडिटी की कीमतों में आए उछाल के चलते अपने बढ़ रहे सब्सिडी खर्च से दो-चार हो रहा है। भारत सरकार अपने कुल खर्च का करीब 10 फीसदी सब्सिडी पर खर्च करती है।

विश्लेषकों के अनुसार केंद्र सरकार 3F (Food, Fuel, Fertilizer) सब्सिडी यानी भोजन, ईंधन और उर्वरक पर जारी राहत को आगे भी लगातार जारी रखने की उम्मीद है। केंद्र सरकार ने संसद से 2022-23 के लिए अनुपूरक अनुदान (Supplementary Demands) मांगों के तहत 4.36 लाख करोड़ रूपये के खर्च की मंजूरी मांगी थी, इसमें कुल 75 अनुदान और 6 विनियोग मांगे शामिल थी। इसमें से 3.25 लाख करोड़ रुपये नकद खर्च के लिए मांगें गये थे, जबकि विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों की बचत और अतिरिक्त प्राप्तियों या वसूलियों के जरिये 1.10 लाख करोड़ रुपये जुटाये जाएंगें।

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लगातार तीसरे साल मांगा गया अतिरिक्त धन

यह लगातार तीसरा साल होगा जब सब्सिडी बिल में बढ़ोतरी देखी गई है। लोकसभा में अनुपूरक मांगो को लेकर बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद वर्ष 2020-21 में भी दो अनुदान की अनुपूरक (Supplementary Demands) मांग रखी गई थीं जो इस वर्ष के मूल बजट की 19 फीसदी थी, यानी कि बजट से 19 फीसदी अधिक पैसा सरकार ने 2020-21 में खर्च किया था। 2022-23 की मांग को लेकर वित्त मंत्री ने कहा कि इस वित्त वर्ष में अनुपूरक मांग में मूल बजट की केवल आठ फीसदी अतिरिक्त राशि की मांग की गई है।

9 दिसंबर 2022 को अनुपूरक मांगों के रूप में नरेंद्र मोदी सरकार ने 2022-23 (अप्रैल से मार्च) के लिए 3 लाख 17 हजार 865 करोड़ रुपये के बजट के अलावा प्रमुख सब्सिडी के लिए 2 लाख 14 हजार 580 करोड़ रुपये के नए खर्च के लिए संसद की मंजूरी मांगी। सरकार की इस मांग को संसद के दोनों सदनों ने बहस के बाद 14 दिसंबर को मंजूरी दे दी।

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People in queue at a pds shop

कितनी होगी Subsidy?

वित्त मंत्रालय ने अनुदान की पूरक मांगों को लेकर जो अनुमानित राशि की मांग की गई थी उसमें प्रमुख अतिरिक्त सब्सिडी व्यय, उर्वरकों (Fertilizers) पर 1 लाख 09 हजार 288 करोड़ रुपये, खाद्य (Food) पर 80 हजार 348 करोड़ रुपये और पेट्रोलियम पर 24 हजार 943 करोड़ रुपये शामिल हैं।

यदि इसके अलावा इस साल के लिए कोई अतिरिक्त व्यय की मांग नहीं की जाती है तो इस साल कुल सब्सिडी बिल 5,32,446 करोड़ रुपये तक चला जाएगा। इस साल खाद्य पर 2 लाख 87 हजार 179 करोड़, उर्वरक पर 2 लाख 14 हजार 511 करोड़ और पेट्रोलियम पर 30 हजार 756 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की उम्मीद है।

2022-23 में क्यो बढ़ रहा है सब्सिडी पर खर्च?

भारत का सब्सिडी बिल 2022-23 के बजट अनुमान के अनुसार 4 लाख 46 हजार 047 करोड़ रुपये के मुकाबले 2021-22 में 3 लाख 36 हजार 439 करोड़ रुपये था। एक साल में इतना सब्सिडी का बिल बढ़ने का सबसे बड़ा कारण कोविड-19 और रूस-यूक्रेन के मध्य फरवरी 2022 से जारी युद्ध है।

2020-21 में, सब्सिडी में बढ़ोतरी के पिछे भारतीय खाद्य निगम (FCI) और उर्वरक कंपनियों की सभी बकाया राशि का भुगतान किया गया था जिसके कारण इसमें इतनी ज्यादा बढ़ोतरी हुई थी।

देश में कोरोना महामारी के चलते लोगों को खाना मुहैया करवाने के लिए प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत पीडीएस के माध्यम से मुफ्त चावल और गेहूं का रिकॉर्ड उठाव हुआ जो 2020-21 में 92.88 मिलियन टन और 2021-22 में 105.61 मिलियन टन था।  

मोदी सरकार द्वारा इसी दिसंबर में खत्म हो रही PMGKAY का विस्तार करने की संभावना नहीं है। हालांकि फरवरी और मार्च में प्रस्तावित त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में होने जा रहे चुनाव के चलते इस स्कीम को आगे बढ़ाने की संभावना कम ही है।

अभी जो अतिरिक्त खाद्य सब्सिडी खर्च के लिए जो मंजूरी मांगी गई है, उसको मुख्य रूप से 2022-23 में पीएमजीकेएवाई की लागत को पूरा करने के लिए जाएगा।

ईंधन सब्सिडी

सितंबर-अक्टूबर 2021 से लगातार बढ़ रही खाद और कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों के कारण उच्च सब्सिडी खर्च हुआ है। इस साल 6 अप्रैल को पेट्रोल और डीजल की खुदरा (Retail) कीमतों में पिछली बार संशोधन किया गया था, इसके अलावा 22 मई को आम आदमी को राहत देने के लिए उत्पाद शुल्क में कटौती की गई थी।

अनुदान की वर्तमान पूरक मांग के तहत मांगी गई 24,943 करोड़ रुपये की ईंधन सब्सिडी केवल घरेलू LPG परिचालन में उनकी अंडर-रिकवरी को कवर करने के लिए है, न कि पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर। सीतारमण ने लोकसभा में चर्चा के दौरान कहा था कि बजट से लेकर आज (14 दिसंबर 2022) तक गरीबों को 200 रुपये प्रति सिलेंडर की सब्सिडी दी जा रही है जिसको लेकर भी अनुदान की अनुपूरक मांगों में इस पर राशि रखी गई है।

खाद सब्सिडी?

यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से आसमान छुती किमतों का भार भी मोदी सरकार ने किसानों पर नहीं पड़ने दिया। उर्वरकों (Fertilizers) को लेकर 1 लाख 09 हजार 288 करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च की मंजूरी मांगी गई थी। यूरिया का अधिकतम खुदरा मूल्य नहीं बढ़ाया गया है, जबकि भारत के दूसरे सबसे अधिक खपत वाले खाद डाय-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) की कीमत में भी बहुत अधिक बढ़ोतरी की अनुमति नहीं दी।

यूरिया के लिए आयातित उर्वरकों की पहुंच कीमत भी अपने उच्चतम स्तर जो दिसंबर – जनवरी 2021-22 में 900-1,000 डॉलर थी से गिरकर 550-600 डॉलर प्रति टन और डीएपी के लिए 700-720 डॉलर (जुलाई में 950-960 डॉलर से) हो गई है। भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली खाद सब्सिडी इस साल लगभग 2। 5 लाख करोड़ रुपये तक जाने की उम्मीद है।

अनुपूरक मांगों को लेकर संवैधानिक प्रावधान

संविधान का अनुच्छेद 115 अनुपूरक, अतिरिक्त या अधिक अनुदान से जुड़ा हुआ है। अनुपूरक, अतिरिक्त, अधिक और असाधारण अनुदानों या वोट ऑफ क्रेडिट को उसी प्रक्रिया द्वारा पूरा किया जाता है जैसे बजट (Budget) को किया जाता है।

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