Delhi Acid Attack: जानिए पिछले 5 साल में देश में कितने दर्ज हुए एसिड अटैक के मामले और कितने लोगों को मिली सजा

पिछले 5 वर्षों की बात करे तो देश में Acid Attack के सबसे ज्यादा 239 मामले पश्चिम बंगाल (West Bengal) में दर्ज किए गए हैं, जबकि 193 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) रहा है। इन दोनों राज्यों में देश के लगभग 40 फीसदी एसिड अटैक केस दर्ज हुए हैं।

0
256
Delhi Acid Attack: जानिए पिछले 5 साल में देश में कितने दर्ज हुए एसिड अटैक के मामले और कितने लोगों को मिली सजा - APN News
Indian model and acid attack survivor Reshma Quereshi presents a creation from Indian designer Archana Kochhar's Spring/Summer 2017 collection during New York Fashion Week on September 8, 2022.

देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) के द्वारका (Dwarka) में 12वीं कक्षा की छात्रा पर बुधवार को हुए एसिड अटैक (Acid Attack) ने एक बार फिर से देश का ध्यान महिलाओं पर होने वाले तेजाब से हमलों की ओर खींचा है।

2015 में आये Supreme Court के आदेश से क्या बदला?

देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने करीब 7 साल पहले 10 अप्रैल 2015 को लक्ष्मी vs भारत सरकार (Laxmi vs Union of India) के मामले में फैसला सुनाते हुए जस्टिस मदन बी लोकुर (Justice Madan B Lokur) एवं जस्टिस उदय उमेश ललित (Justice U U Lalit) की पीठ ने एसिड अटैक रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण आदेश जारी किए थे।

10 अप्रैल 2015 को जारी किये गए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों को तेजाब (Acid) की खुलेआम बिक्री पर सख्ती से रोक लगाने का आदेश दिया था। इसक साथ ही एसिड हमले का शिकार होने वाली महिलाओं को 3 लाख रुपये (इस आदेश को 2014 में जारी किया गया था) की तत्काल आर्थिक मदद (Economic Assistance) देना, दवाइयों से लेकर सर्जरी और अस्पताल में अलग कमरे तक की सुविधा के साथ मुफ्त इलाज (Free Treatment) मुहैया कराना, भविष्य में उसे सारी सुविधाएं पाने के लिए एसिड अटैक के पीड़ितों को पहचान पत्र जारी करना और दोषियों को सख्त सजा देने के लिए कानून में प्रावधान करने का आदेश दिया था।

Acid Attack crusader Laxmi Agarwal
Acid Attack crusader Laxmi Agarwal

ये भी पढ़ें – Delhi Acid Attack: फिल्मी अंदाज में रची हमले की साजिश, ब्रेकअप के बाद ऑनलाइन खरीदा एसिड और फिर…

2015 के बाद कितनी बदली स्थिति?

केंद्र सरकार के संस्थान NCRB द्वारा एकत्रित किये जाने वाले डेटा के अनुसार देश में 2017 से 2021 के बीच यानी पिछले 5 सालों में एसिड अटैक के 1,070 मामले सामने आए हैं। वहीं, साल 2014 से 2018 के बीच 1,483 महिलाओं पर तेजाब से हमला किया गया था।

जारी किए गये आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2017 से 2021 के बीच 2019 को छोड़कर एसिड अटैक के मामलों में हर साल कमी दर्ज की गई है। साल 2017 में जहां एसिड अटैक के 244, 2018 में 228, 2019 में 249, 2020 में 182 मामले सामने आए थे, वहीं 2021 में इनकी संख्या घटकर 176 रह गई। हालांकि इन पांच साल में 324 केस ऐसे भी रहे, जिनमें एसिड अटैक की कोशिश की गई, लेकिन हमलावर असफल हो गए।

40 फीसदी से ज्यादा मामले पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में

पिछले 5 वर्षों की बात करे तो देश में एसिड अटैक के सबसे ज्यादा 239 मामले पश्चिम बंगाल (West Bengal) में दर्ज किए गए हैं, जबकि 193 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) रहा है। इन दोनों राज्यों में देश के लगभग 40 फीसदी एसिड अटैक केस दर्ज हुए हैं।

पिछले 5 सालों में देश के किसी भी राज्य में एसिड अटैक के 100 से ज्यादा मामले दर्ज नहीं हुए हैं। देश के दो राज्य ऐसे हैं जहां 50 और 100 के बीच मामले दर्ज हुए हैं, ये दो राज्य ओडिशा (53 केस) और केरल (50 केस) रहे हैं इसके बाद आंध्रप्रदेश में 46 और कर्नाटक में 35 मामले सामने आये थे। NCRB के डेटा के अनुसार देश की राजधानी दिल्ली में पिछले 5 साल के दौरान एसिड अटैक के 46 मामले सामने आये हैं।

Delhi Women Commission Chief Swati Maliwal with one of the Acid Attack survivors
Delhi Women Commission Chief Swati Maliwal with one of the Acid Attack survivors

क्या है कानूनी प्रावधान? Legal Provisions for Acid Attack survivors

2000 के दशक की शुरुआत में एसिड हमलों में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, देश में एसिड अटैक पीड़िताओं को न्याय दिलाने के लिए IPC की धारा 326 में एक प्रावधान जोड़ा गया था। इस प्रावधान के बाद से एसिड अटैक से संबंधित मुकदमे IPC की धारा 326A और धारा 326B के तहत दर्ज होते हैं। पहले धारा 326 के तहत एसिड अटैक में दोषी साबित होने पर उम्र कैद या 10 साल की सजा का प्रावधान था, लेकिन नए संशोधन के बाद जानबूझकर एसिड हमले से पीड़ित को नुकसान पहुंचने पर अपराध गैरजमानती (Non-Bailable) माना जाएगा। इसमें उम्रकैद के साथ-साथ जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। जुर्माने की रकम पीड़िता को मिलेगी। इसके अलावा एसिड अटैक की कोशिश के लिए धारा 326B के तहत कार्रवाई की जाती है। इसमें एसिड अटैक असफल रहने पर भी आरोपी को पांच साल की सजा के साथ-साथ जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। एसिड अटैक करने की कोशिश करने को भी गैरजमानती धारा के तहत रखा गया है।

ये भी पढ़ें –

कितने मामलों में हुई सजा?

देश में अन्य मामलों की तरह ही एसिड अटैक के मामलों में अदालतों से सजा मिलने की दर बेहद कम रही है। लंबी न्यायिक प्रक्रिया के चलते हमलावरों के हौसले बुलंद हो रहे हैं और सख्त कानून के बावजूद लगातार ऐसे मामले सामने आते रहते हैं। लोकसभा में 2 अगस्त 2022 को मानसून सत्र के दौरान YSR कांग्रेस पार्टी की सांसद गीता विश्वनाथ वांगा के एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया कि साल 2018, 2019 और 2020 में क्रमश: 131, 150, और 105 मामले दर्ज किए गए थे जिनमें से क्रमश: 28, 16 और 18 दोषियों को ही सजा मिल पाई थी। पिछले 3 सालों में हुए एसिड अटैक के 386 दर्ज मामलों में महज 62 लोगों को ही अदालत से सजा मिल पाई है।

ये भी देखें –

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here