सीमाओं पर लगातार गतिरोध बढ़ रहे हैं चाहे वह पाकिस्तान से हो या चीन से। इसके लिए जरुरी है कि हम अपनी सेना और सुरक्षा के इंतजामों को पुख्ता रखें। अब इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने सेना में आजादी के बाद सबसे बड़े सुधार को हरी झंडी दे दी है। इसके तहत अधिकारियों, जूनियर कमीशन अधिकारियों और अन्य रैंक के 57 हजार पदों का पुनर्नियोजन किया जाएगा। इसके अलावा सेना के अनावश्यक विभागों को बंद किया जाएगा और एक ही तरह के काम में लगे विभागों को एक साथ मिलाया जाएगा।

बता दें कि इस सुधार के लिए रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) डॉ. डीबी शेखटकर समिति की कई सिफारिशों को लागू करने को मंजूरी दे दी है।

इस कमेटी की 99 सिफारिशों में से 65 सिफारिशों को रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने पहले चरण में मंगलवार को मंजूरी दे दी। इनमें कुछ जरुरी सिफारिशे यह हैं:

– 57 हजार अफसरों और सैनिकों को नॉन कोर जिम्मेदारियों से हटाकर ऑपरेशनल भूमिका में लगाया जाएगा।

– सेना में सिविलियनों की भी उन जगहों पर नए सिरे से तैनाती होगी, जहां फिलहाल सैनिक काम कर रहे हैं।

– आर्मी डाक और फार्म की सेवाएं बंद की जाएंगी, जिनके बारे में माना जाता है कि वे आज उपयोगिता खो चुके हैं।

– NCC की क्षमता को बेहतर बनाया जाएगा। आर्मी वर्कशॉप, डिपो और ट्रांसपोर्ट यूनिटों में भी बदलाव होंगे।

गौरतलब है कि इन सुधारों को 31 दिसंबर 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा।  जेटली ने कहा कि यह आजादी के बाद भारतीय सेना में किया गया सबसे बड़ा सुधार है और इसे सेना के सलाह से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके तहत 57,000 अधिकारियों, जेसीओ और अन्य रैंक के अधिकारियों की फिर से तैनाती की जाएगी।

इतना ही नहीं सरकार ने समिति को सेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने और सशस्त्र बलों के रक्षा खर्च का पुनर्संतुलन स्थापित करने की शक्ति दिया था जिससे कि ‘टीथ टू टेल रेशियो’ को बढ़ाया जा सके। टीथ टू टेल रेशियो से आशय हर लड़ाकू सैनिक (टूथ) के लिये रसद और समर्थन कर्मी (टेल) की मात्रा से है।

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