15 साल पहले दहशतगर्दों ने दहला दी थी मुंबई, जानें कब और कैसे हमलों को दिया था अंजाम?

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साल 2007, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में एक ट्रेनिंग कैंप चल रहा था। ये ट्रेनिंग कैंप किसी और का नहीं बल्कि आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का था। ये वही लश्कर था जिसने जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों,साल 2000 में लाल किले पर हमले, 2001 में संसद पर हमले और 2005 में दिल्ली में धमाकों को अंजाम दिया था। यानी इरादा फिर से हिंदुस्तान के खिलाफ कुछ करने का था। इस कैंप को चलाने में लश्कर को पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की भी मदद मिल रही थी। सितंबर आते-आते 10 ऐसे लड़कों को चुन लिया गया था जिन्हें एक नापाक मंसूबे को पूरा करना था।

अब आ जाते हैं साल 2008 में। 21 नवंबर की शाम को ये 10 लड़के एक नाव में कराची से निकले। दो दिन बाद इन लोगों ने भारतीय मछुआरों की एक नाव को अपने कब्जे में लिया और उसमें सवार 5 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। फिर आया वो दिन, जिसने न सिर्फ मुंबई बल्कि पूरे भारत को ऐसे जख्म दिए जो कभी भुलाए न भूलेंगे। 26 नवंबर को ये कोई रात के 8 बजे होंगे जब ये लोग मुंबई के मच्छीमारनगर पहुंचे। वहां इनमें से 6 लोग उतर गए और बाकी के चार नाव से आगे बधवार पार्क निकल गए। मुंबई पहुंचने पर ये आतंकी अलग-अलग मंजिलों को निकल पड़े और देश की आर्थिक राजधानी को दहलाना शुरू कर दिया।

छत्रपति शिवाजी टर्मिनस

इन आतंकियों में से दो सेंट्रल रेलवे के हेडक्वार्टर और देश के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन में से एक छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पहुंचे। ये दोनों रात 9:30 बजे टर्मिनस पहुंचे और वहां मौजूद लोगों को अपनी AK47 से भूनना शुरू कर दिया और ग्रेनेड फेंके। इस दौरान 58 लोग मारे गए और 100 से ऊपर लोग घायल हो गए। इन दोनों आतंकियों ने पुलिस को भी निशाना बनाया और 8 पुलिसकर्मियों की जान ले ली।

इसके बाद इन दो आतंकियों ने कामा अस्पताल को निशाना बनाया। इस बीच मुंबई पुलिस एटीएस चीफ हेमंत करकरे इन दो आंतकियों की तलाश में निकल पड़ थे। पुलिस को सूचना मिली थी कि अस्पताल में फायरिंग हुई है। करकरे, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अशोक काम्टे और विजय सालस्कर के साथ, कामा अस्पताल के बाहर पुलिस वैन में थे कि आतंकियों ने उन पर फायर कर दिया। आतंकियों और पुलिस के बीच मुठभेड़ में जहां करकरे , विजय सालस्कर, अशोक कामटे शहीद हुए तो वहीं कॉन्स्टेबल अरुण जाधव भी बुरी तरह घायल हो गए। इसके बाद दोनों आतंकवादी वाहन के पास आए, तीनों अधिकारियों के शवों को सड़क पर फेंक दिया और कांस्टेबलों को मरा हुआ समझकर मेट्रो सिनेमा की ओर चले गए। ऐसे में जाधव ने पुलिस महकमे से संपर्क किया और मामले की जानकारी दी।

वैसे तो एक कार को कब्जे में लेकर इन आतंकियों ने भागने की कोशिश की लेकिन पुलिस बैरिकेडिंग के चलते आगे नहीं जा सके। इस बीच पुलिस फायरिंग में एक आतंकी मारा गया और अजमल कसाब घायल हो गया। कसाब से हथियार छीनते हुए पुलिसकर्मी तुकाराम ओम्ब्ले भी शहीद हो गए। अजमल कसाब इकलौता ऐसा आतंकी था जो इस हमले में जिंदा पकड़ा गया था।

लियोपोल्ड कैफे

मुंबई के मशहूर रेस्तरां लियोपोल्ड कैफे पर भी दो आतंकियों ने हमला किया और लोगों को निशाना बनाया। रात 21:30 से 21:48 के बीच फायरिंग हुई जिसमें 10 लोग मारे गए और कई घायल हुए। कैफे से निकलकर आतंकी ताज होटल की ओर चल दिए थे।

ताज और ओबेरॉय होटल

उसी रात आतंकी ताज होटल में घुस गए। ताज होटल इन आतंकियों का खास टारगेट था। उस दिन ताज में 450 लोग थे। माना जाता है कि ताज होटल की बारीक जानकारी डेविड हेडली ने आतंकियों को दी थी। इसके बाद 27 नवंबर की सुबह 200 लोगों को ताज होटल से निकाला गया। लेकिन बाद में पता चला कि ताज होटल में दो आतंकियों ने 100-150 लोगों को अपने कब्जे में लिया हुआ है। ऐसा ही कुछ ओबेरॉय होटल में हुआ। जहां आतंकियों ने 143 लोगों को होस्टेज बना लिया था।

इसके बाद मरीन और एनएसजी कमांडो ने दोनों होटल को घेर लिया। जैसे ही मालूम चला कि टीवी के जरिए आतंकी इन सुरक्षाकर्मियों की जानकारी पा रहे हैं। मीडिया को दूर कर दिया गया। 28 नवंबर को ओबेरॉय होटल में मौजूद दो आतंकी मार गिराए गए और कई लोगों की जान बचा ली गई। 29 नवंबर की सुबह तक ताज में भी मौजूद आतंकियों को मार गिराया जा चुका था। ताज और ओबेरॉय होटल में आतंकियों ने तकरीबन 60 लोगों की हत्या की थी।

नरीमन हाउस

दो आतंकियों ने 26 नवंबर की रात 21:45 बजे यहूदी लोगों को निशाना बनाते हुए नरीमन हाउस पर हमला किया और लोगों को कब्जे में लिया। फिर क्या था 27 नवंबर को पुलिस के साथ इनकी मुठभेड़ शुरू हुई। इसके बाद एनएसजी ने मोर्चा संभाला। 28 नवंबर को एनएसजी कमांडो हेलिकॉप्टर से बिल्डिंग के ऊपर लैंड कर गए। एक लंबे संघर्ष के बाद दोनों आतंकी ढेर कर दिए गए। लेकिन कमांडो गजेंद्र सिंह बिष्ट भी शहीद हो गए। इन आतंकियों ने एक गर्भवती महिला समेत 6 लोगों की हत्या की। इस ऑपरेशन के दौरान नरीमन हाउस से 9 लोगों को छुड़वाया गया।

इसके अलावा टाइम बॉम्ब लगाकर आतंकियों ने टैक्सियों में धमाके भी किए। रात 22:40 बजे विले पारले में एक धमाका हुआ, जिसमें ड्राइवर और यात्री की मौत हुई। ऐसे ही एक और टैक्सी धमाके में तीन लोग मारे गए और 15 घायल हुए। 26/11 हमले में कुल 166 निर्दोष लोग मारे गए और 300 से ज्यादा घायल हुए।

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