Supreme Court 23 फरवरी को बोर्ड परीक्षाओं के खिलाफ दायर याचिका पर करेगा सुनवाई, यहां देखें Latest Update

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Supreme Court Cancel The plea for online exams

देशभर में 10वीं और 12वीं कक्षा की ऑफलाइन परीक्षाओं को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर Supreme Court 23 फरवरी को सुनवाई करेगा। याचिका में सभी State Board, CBSE, ICSE और National Institute Of Open Schooling (NIOS) द्वारा दसवीं और बारहवीं कक्षा के लिए आयोजित की जाने वाली ऑफलाइन परीक्षाओं को रद्द करने की मांग की गई है। Justice A.M. Khanwilkar की अध्यक्षता वाली पीठ इस याचिका पर सुनवाई करने वाली है। फिलहाल Supreme Court में मामले की सुनवाई के दौरान SG के अलावा किसी और पक्ष के ना होने की वजह से ही सुनवाई को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

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जस्टिस A.M. Khanwilkar की अध्यक्षता में होगी सुनवाई

Supreme Court में जस्टिस A.M. Khanwilkar की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ जिसमें जस्टिस Dinesh Maheshwari और जस्टिस C.T Ravikumar शामिल है उनके समक्ष ही याचिका को जल्द से जल्द सूचीबद्ध करने का आग्रह किया गया था। याचिका देश भर के 15 राज्यों के छात्रों की ओर से दायर की गई है।

All boards including CBSE have terminated the Moderation Policy

दरअसल, इस याचिका में बाल अधिकार वकील अनुभा श्रीवास्तव सहाय ने मांग की है कि कम्पार्टमेंट वाले छात्रों समेत सभी छात्रों की मार्किंग का फॉर्मूला तय करने और साथ ही निर्धारित की गई समय सीमा में परिणाम घोषित करने के लिए एक समिति के गठन का निर्देश दिया जाए। देश के 15 राज्यों के छात्रों की तरफ से यह मांग की गई है कि परीक्षा का आयोजन ऑनलाइन मोड में ही किया जाए। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले ही लोगों को उम्‍मीद है कि कोर्ट छात्रों के पक्ष में फैसला सुनाएगा।

छात्र कर रहे ये मांग

  • देश के सभी तीन बोर्ड CBSE, CISCE और NIOS के साथ अन्य राज्यों की ऑनलाइन बोर्ड परीक्षा को रद्द किया जाए।
  • Supreme Court में दायर याचिका में छात्रों ने कहा है कि कोरोना महामारी के बीच बोर्ड परीक्षा आयोजित करना उनके जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।
  • छात्रों का कहना है कि कोरोना की स्थिति को देखते हुए Offline Exam के बजाय इस साल बोर्ड परीक्षा वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति के आधार पर कराई जाए।
  • छात्रों द्वारा य‍ह भी कहा जा रहा है कि वे वर्तमान में ऑफलाइन मोड में परीक्षा देने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि काफी लंबे समय से उनकी कक्षाएं ऑनलाइन मोड में ही हो रही हैं। साथ ही कुछ छात्रों का यह भी कहना है कि ऑनलाइन कक्षाओं के कारण उनका पाठ्यक्रम पूरा ही नहीं हुआ है।

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