Import Duty: मंदी की आंशका के बीच कुछ सामानों पर आयात शुल्क बढ़ाने की तैयारी कर रही है सरकार, जानिए इससे आम आदमी पर कितना पड़ेगा असर…

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Import Duty: मंदी की आंशका के बीच कुछ सामानों पर आयात शुल्क बढ़ाने की तैयारी कर रही है सरकार, जानिए इससे आम आदमी पर कितना पड़ेगा असर...
Import Duty India

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में छा रही मंदी की आशंका के बीच कुछ चीजों के आयात पर लगने वाले शुल्क (Import Duty) को बढ़ाने पर विचार कर रही है। इसके पिछे का मुख्य कारण लगातार बढ़ रहे व्यापार घाटे (Trade Deficit) को कम करने के रूप में देखा जा रहा है।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ‘गैर-आवश्यक वस्तुओं’ (Non Essential Items) के आयात पर लगने वाले आयात शुल्क में बढ़ोतरी कर आयात को कम करने की योजना पर काम कर रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय इस समय एक विस्तृत आधार पर वस्तुओं की एक सूची बना रहा है जिन वस्तुओं के आयात पर शुल्क बढ़ाया जा सकता है।

वे वस्तुएं जिन पर पर बढ़ सकती है Import Duty?

हालांकि ये प्रस्तावित शुल्क बढ़ोतरी (Import Duty) उन वस्तुओं तक ही सीमित होगी जिनके लिए देश में बनाने के प्रयाप्त साधन मौजूद हैं, लेकिन ये बढ़ोतरी हार्मोनाइज्ड सिस्टम ऑफ नोमेनक्लेचर (HSN) कोड के तहत आने वाली श्रेणियों में अन्य मदों के लिए लागू नहीं होगी। हार्मोनाइज्ड सिस्टम ऑफ नोमेनक्लेचर (Harmonized System of Nomenclature) उत्पादों के नामकरण, वर्गीकरण और पहचान की एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयोग की जाने वाली प्रणाली है। जीएसटी की दर को जानने के लिए माल (Goods) को वर्गीकृत करने के लिए एचएसएन कोड का उपयोग किया जाता है।

केंद्र सरकार जिस क्षेत्र को लेकर सबसे ज्यादा सक्रिय है वो है स्टील। सरकार घरेलू स्तर पर अतिरिक्त क्षमता के कारण स्टील पर उच्च आयात शुल्क पर विचार कर रही है। इसी तरह, एलईडी लाइटों के आयात को कम करने के लिए, सरकार केवल सिंगल-वायर एलईडी लाइट पर अधिक कर लगाने पर विचार कर सकती है, लेकिन एलईडी बल्बों पर अधिक शुल्क लगाने का इरादा नहीं है।

लगातार बढ़ रहा है भारत का व्यापार घाटा

केंद्र सरकार इस समय देश के लगातार बढ़ रहे व्यापार घाटे पर लगाम लगाने के लिए एक नीति पर काम कर रही है, इस नाति का मकसद देश से होने निर्यात को बढ़ावा देना है तो वहीं आयात पर से निर्भरता घटाना है। इससे घाटा कम रहेगा।

भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा 15 दिसंबर 2022 को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार देश में से नवंबर 2022 में 58.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर (4 लाख 77 हजार 400 करोड़) का निर्यात किया गया वहीं 69.33 बिलियन डॉलर (5 लाख 68 हजार 500 करोड़) का आयात किया। इससे अगर हम एक महीने नवंबर में देखें तो भारत को 11.11 बिलियन डॉलर (91 हजार 100 करोड़) का नुकसान हुआ है।

वहीं, हम इस साल की बात करे तो भारत अप्रैल 2022 से नवंबर 2022 तक भारत ने 499.67 बिलियन डॉलर का निर्यात किया है तो वहीं 610.70 बिलियन डॉलर का आयात किया है। अगर हम इन पिछले आठ महीनों की ही बात करें तो भारत को लगभग 9 लाख करोड़ का घाटा हो चुका है।

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वो उत्पाद जिनपर लगातार बढ़ाया जा रहा है आयात शुल्क?

केंद्र सरकार ने इससे पहले 2022-23 के बजट के दौरान कई आयातित करने वाले उत्पादों पर टैक्स (Import Duty) बढ़ा दिया था जिनमें छाता, हेडफोन, ईयरफोन, लाउडस्पीकर, स्मार्ट मीटर और नकली आभूषण जैसी रोजमर्रा की जिदंगी में काम आने वाली चीजें भी शामिल थी। जिन चीजों पर टैक्स बढ़ाया गया था इनमें से अधिकांश उत्पाद चीन से आयात किए जा रहे थे। भारत सरकार ने देश के किसानों को दुनिया के बड़े निर्यातक देशों से बचाने के लिए पिछले पांच वर्षों में बादाम, सेब और अन्य जैसे कई मौकों पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी की है। इसी कड़ी में देश के उभरते हुए छोटे एवं मध्यम उद्योगों को बचाने और बढ़ावा देने के लिए बड़े स्तर पर मोबाइल फोन के पुर्जों और सौर पैनलों के उपर लगने वाले शुल्क पर नियमित बढ़ोतरी की गई है।

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कुछ पॉजिटिव भी, लेकिन कितना?

रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए डेटा के अनुसार अक्टूबर 2022 में 2021 की इसी अवधि की तुलना में भारत के निर्यात में लगभग 16.7 फीसदी की गिरावट देखी गई है। RBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्यात में आ रही कमी एक चिंता का विषय बना हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर में स्टील और इससे जुड़े हुए उत्पादों के निर्यात में लगभग 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (16,400 करोड़) की कमी दर्ज की गई है।

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क्यो देखी जा रही है Export में कमी?

दुनियाभर में इस समय वैश्विक मंदी की आहट है, जिसके चलते भारतीय वस्तुओं की मांग में गिरावट देखी जा रही है। इसके अलावा दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था ब्रिटेन और अमेरिका के भी मंदी की ओर बढ़ने की आशंका है,  इसके अलावा चीन में जारी जीरो कोविड-19 नीति के चलते भी दुनियाभर में व्यापार के स्लो हो रहा है। वहीं, पिछले कुछ महीनों में भारत में खुदरा मुद्रास्फीति (Inflation) लगातार 7 फीसदी से ऊपर रही है, लेकिन नवंबर 2022 में यह 5.85 फीसदी रही है। इसके अलावा रूस और युक्रेन के बीच जारी युद्ध से भी दुनिया के विकसित देशों में महंगाई पनी चर्म सीमा पर पहुंच गई जिसके चलते भी वो लोग अपने आयात में कमी कर रहे हैं।

भारतीय का विदेशी मुद्रा भंडार?

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 9 दिसंबर को समाप्त सप्ताह के बाद जारी किए गए आंकड़ों में बताया कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 564 बिलियन अमेरिकी डॉलर (46,40,802 करोड़ रुपए) है। विश्लेषक पिछले कुछ हफ्तों में विदेशी मुद्रा भंडार में हुई वृद्धि को भविष्य के लिये आशा का संकेत है।

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