RBI ने होलसेल सेगमेंट में Digital Currency e₹ को किया लॉन्च, जानिए क्या है डिजिटल करेंसी ओर इसके जरिये कैसे होगा भुगतान

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RBI ने होलसेल सेगमेंट में Digital Currency e₹ को किया लॉन्च, जानिए क्या है डिजिटल करेंसी ओर इसके जरिये कैसे होगा भुगतान - APN News

आज देश में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने डिजिटल रुपया यानी कि Digital Currency e₹ को लॉन्च कर दिया है. अभी यह डिजिटल रुपया होलसेल सेगमेंट के लिए शुरू किया गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कहा है कि डिजिटल रुपया का पहला पायलट प्रोजेक्ट 1 नवंबर से शुरू यानि आज से शुरू हो गया है. हालांकि अभी यह होलसेल सेगमेंट के लिए शुरू की जाएगी.

आरबीआई द्वारा 7 अक्टूबर को जारी किए गए एक कॉन्सेप्ट नोट मे बताया गया है कि ई-रुपया (e₹) या Digital Currency भारत के डिजिटल भुगतान ईकोसिस्टम में व्यक्तियों और व्यवसायों को लेन-देन करने के लिए यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI), चेक, बैंक हस्तांतरण और डेबिट और क्रेडिट कार्ड के अलावा एक और अतिरिक्त भुगतान का विकल्प प्रदान करेगा. यह काफी हद तक बैंक नोटों से अलग नहीं है, लेकिन डिजिटल होने के कारण यह ‘आसान, तेज और सस्ता होगा.’

RBI द्वारा बताया गया है कि डिजिटल रुपया – रिटेल सेगमेंट (e₹) के लिए पहला पायलट प्रोजेक्ट जो ग्राहकों और व्यापारियों के चुनिंदा उपयोगकर्ता समूहों को चुनिंदा स्थानों पर मिलेगा को एक महीने के भीतर लॉन्च करने की योजना है.

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पायलट प्रोजेक्ट में कौन से बैंक शामिल?

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए नोट में बताया गया है कि पायलट प्रोजेक्ट में सेकेंडरी मार्केट ट्रांजैक्शन का सेटलमेंट होगा जिसमें सरकारी सिक्योरिटी को भी शामिल किया जाएगा. देश में पायलट प्रोजेक्ट के लिए अभी देश के 9 बैंक- जैसे स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक को शामिल किया गया है.

क्यों पड़ी जरूरत?

दुनिया में अगले जमाने को Digital Currency का जमाना माना जाता है जिस पर पूरी दुनिया में तेजी से काम चल रहा है. भारत इस दिशा में बहुत तेजी से कदम बढ़ा रहा है जिसकी तारीफ विश्व बैंक जैसे संगठन भी खुलकर कर चुके हैं. डिजिटल रुपी या डिजिटल करेंसी भी उसी डिजिटल इकोनॉमी का अगला कदम होगा. जिस तरह मोबाइल वॉलेट से सेकंडों में ट्रांजैक्शन होता है, ठीक उसी तरह डिजिटल रुपी से भी काम होगा. इससे कैश का झंझट कम होगा जिसका बड़ा सकारात्मक असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखी जाएगी.

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बजट भाषण में हुई था चर्चा

1 फरवरी 2022 को 2022-23 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि CBDC की शुरूआत “डिजिटल अर्थव्यवस्था को बड़ा बढ़ावा” देगी. सीतारमण ने अपने भाषण में कहा था कि, “भारतीय रिजर्व बैंक 2022-23 में ब्लॉकचेन और अन्य तकनीकों का उपयोग करते हुए डिजिटल रुपया पेश करने का प्रस्ताव रखता है.”

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क्या है ई-रुपया

ई-रुपया (e₹), भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी की गई केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को मुद्रा (Currency) को डिजिटल रूप में परिभाषित करेगा. भारत की मौद्रिक नीति के अनुसार यह रिजर्व बैंक द्वारा जारी एक संप्रभु या पूरी तरह से स्वतंत्र मुद्रा होगी.

आरबीआई द्वारा 7 अक्टूबर को जारी किए गए एक कॉन्सेप्ट नोट मे बताया गया है कि ई-रुपया या डिजिटल रुपया वर्तमान में उपलब्ध मुद्रा के लिए एक अतिरिक्त विकल्प प्रदान करेगा. यह काफी हद तक बैंक नोटों से अलग नहीं है, लेकिन Digital Currency होने के कारण यह आसान, तेज और सस्ता होगा.”

जारी कॉन्सेप्ट नोट में कहा गया था कि ई-रुपया को दो तरह से जारी किया जाएगा एक बड़े संस्थानों के भुगतान के लिए और दूसरा आम जनता के लिए. हालांकि, वाणिज्यिक बैंक इसको डिजिटल मुद्रा के रुप में वितरित कर सकते हैं.

एक बार रिजर्व बैंक द्वारा आधिकारिक रूप से जारी होने के बाद CBDC को तीनों पक्षों- आम नागरिकों, सरकारी निकायों और उद्यमों (Industries and Institutions) द्वारा भुगतान का लीगल टेंडर माना जाएगा. इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा की केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होने के कारण इसे किसी भी वाणिज्यिक बैंक की मुद्रा या नोटों में बदला जा सकता है.

आरबीआई ई-रुपया पर ब्याज देने के पक्ष में नहीं है. आरबीआई का मानना है कि यदि ई-रुपये पर ब्याज मिलता है, तो उपयोगकर्ता बैंकों से अपने धन को निकाल सकते हैं और उन्हें डिजिटल रूप में परिवर्तित कर सकते हैं, जिससे भारत की वित्तीय और बैंकिंग प्रणाली प्रभावित हो सकती है.

क्रिप्टोकरेंसी से कितना अलग?

ज्यादातर क्रिप्टोकरेंसी निजी लोगों द्वारा पेश की गई हैं. बिटकॉइन या एथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी ‘निजी’ हैं. दूसरी ओर, Digital Currency रुपए को आरबीआई द्वारा जारी और नियंत्रित किया जाएगा.

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क्या है वैश्विक परिदृश्य

जुलाई 2022 तक दुनियाभर में करीब 105 देश CBDC पर विचार कर रहे थे. दस देशों ने CBDC की शुरुआत भी कर दी है जिनमें सबसे पहला है वर्ष 2020 में बहामियन सैंड डॉलर एवं सबसे हाल ही में जमैका का JAM-DEX है.

कैसे होगा प्रयोग?

टोकन पर आधारित CBDC जैसे हगम आमतौर पर बैंक नोटों के समान लेन-देन करते है बिलकुल ऐसा ही साधन होगा. वो व्यक्ति जिनके पास टोकन है को अपने टोकन की स्वामित्त्व की वैधता को प्रमाणित करना होगा. क्योंकि यह वास्तविक धन (Real Money) के समान होगा, टोकन-आधारित CBDC को पसंदीदा CBDC-खुदरा मोड के रूप में देखा जाएगा.

ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में होगा उपलब्ध

आरबीआई के अनुसार एक विकल्प के रूप में ऑफलाइन कार्यक्षमता CBDC को इंटरनेट के बिना भी लेन-देन की सुविधा देगी और इस प्रकार खराब या बिना इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में पहुंच को बढ़ाएगी. इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा की यह अभी वित्तीय प्रणाली से कोसों दूर आबादी के लिये डिजिटल पदचिह्न साबित होगा, जिससे उन्हें ऋण की आसान उपलब्धता की सुविधा आसानी से मिल होगी.

ई-रुपए के लाभ

भौतिक (Physical) नकद प्रबंधन में बैंको समेत पूरी प्रणाली पर काफी खर्च पड़ता है, आरबीआई इसको लगातार कम करने के प्रयास कर रहा है. इसके अलावा परिचालन लागत में कमी, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना, भुगतान प्रणाली में लचीलापन, दक्षता और नवीनता लाना भी ई-रुपए लाने के पिछे का एक मकसद है.

इसके अलावा आरबीआई जनता को ऐसी सुविधा प्रदान करता चाहता है जो कोई भी निजी आभासी मुद्राएं (Virtual Currencies) संबद्ध जोखिमों के बिना प्रदान कर सकती हैं.

भारत में डिजिटल करेंसी से संबंधित मुद्दे

भारत में CBDC को लांच करने के साथ ही इसके पारिस्थितिकी तंत्र को साइबर हमलों जैसे जोखिम झेलने पड़ सकते हैं जो वर्तमान भुगतान प्रणाली में पहले से ही लगातार चले आ रहे हैं. इसके साथ-साथ CBDC से वास्तविक समय में डेटा के विशाल मात्रा के उत्पन्न होने की उम्मीद है. ऐसे में डेटा की गोपनीयता (Privacy of Data) के साथ-साथ इसकी अनामिकता से संबंधित चिंताएं और इसका प्रभावी उपयोग एक चुनौती होगी.

हाल ही में जारी किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey) के अनुसार भारच में ग्रामीण एवं शहरी हिस्सों में इंटरनेट के प्रयोग को लेकर भी काफी समस्याएं हैं. भारत में केवल 48.7% ग्रामीण पुरुषों और 24.6% ग्रामीण महिलाओं ने कभी इंटरनेट का उपयोग किया है. इसलिये CBDC डिजिटल डिवाइड के साथ-साथ वित्तीय समावेशन में लिंग आधारित बाधाओं को बढ़ा सकता है.

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