All India Traders (CAIT) ने आज केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल (Union Commerce Minister Piyush Goyal) को पत्र भेजकर बड़े ऐप स्टोर ऑपरेटरों के खिलाफ कार्रवाई का आग्रह किया, जो सॉफ्टवेयर डेवलपर्स को अपने प्लेटफॉर्म के भुगतान प्रणालियों का उपयोग करने के लिए मजबूर कर रहीं है और जिसके एवज़ में वो भारी कमीशन वसूल रही हैं।

हाल ही में दक्षिण कोरिया (South Korea) ने बड़े ऐप स्टोर पर प्रतिबंध लगाने वाला एक कानून पारित किया। प्रमुख रूप से दो कंपनियां Google और Apple अपना सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करने वाले लोगों पर जोर डालती हैं कि वो भुगतान सिस्टम से ही करें, जिस पर कम्पनियां 30% तक कमीशन ले रही हैं और गैर-प्रतिस्पर्धी वातावरण तैयार कर रही हैं, जिससे बड़ी संख्या में छोटे प्रौद्योगिकी खिलाड़ियों के लिए बाधा साबित हुई है और इसलिए उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा और शक्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए नियामक कदमों की आवश्यकता है।

इस बारे में CAIT के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया (B.C.Bhartia) और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल (Praveen Khandelwal) ने कहा कि ये बड़े पैमाने पर देशहित में नहीं है। प्रौद्योगिकी क्षेत्र में पारदर्शिता लाने की तत्काल आवश्यकता है और सभी सेवा प्रदाताओं को सर्वोत्तम सामग्री और सेवाएं प्रदान करने के लिए समान अवसर प्रदान करना और उपभोक्ता को यह तय करने देना है कि क्या उपयोग करना है और क्या नहीं। उन्होंने आगे कहा कि सरकार को ऐप स्टोर के हानिकारक और प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं के लिए जवाबदेह होना चाहिए। आशा है कि सरकार दक्षिण कोरिया के नेतृत्व का अनुसरण करेगी और सभी ऐप डेवलपर्स और उपयोगकर्ताओं के लिए समान स्तर के व्यापार का महौल सुनिश्चित करेगी।

Google, Apple जैसी बड़ी कंपनियों को फायदा

पिछले महीने के अंत में Apple ने यूएस आधारित ऐप डेवलपर्स को अपने एपीपी स्टोर ऑपरेटरों के तरीके में बदलाव करने के लिए $ 100 मिलियन समझौते के हिस्से के रूप में दिए, इन एप डेवलपर्स ने कंपनी पर अनुचित प्रथाओं का उपयोग करने के लिए मुकदमा दायर किया। उन्होंने ऐप बाजार के भीतर प्रतिस्पर्धा की रक्षा और उपभोक्ता सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एवं ई-कॉमर्स जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियों की अनुचित प्रथाओं और मनमानी को रोकने के लिए सरकार पर जोरदार दबाव डाला। बाजार पर एकाधिकार करना वैश्विक कंपनियों का मुख्य एजेंडा बन गया है।

खंडेलवाल ने कहा कि भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में बड़ी टेक कंपनियों की योजना कुछ प्ले स्टोर बिलिंग नीतियों को लागू करने की है, जो छोटी कंपनियों को प्रभावित करने वाली बड़ी टेक कंपनियों की प्रथाओं की वैश्विक घटना का एक छोटा सा हिस्सा है। भारतीय स्टार्ट-अप इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। ये स्टार्टअप अभी भी विकासशील मोड में हैं और अधिक जोखिम के साथ अल्प कमाई कर रहे हैं। जब इन स्टार्टअप्स ने विस्तार किया तो उन्हें बड़ी तकनीकी कंपनियों ने इन्हें पीछे धकेलने में कोई कसर नही छोड़ी।

Digital Payment को लेकर RBI ने दिया दिशानिर्देश

वहीं ई-कॉमर्स साइटों पर खरीदारी और डिजिटल भुगतान को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI) ने नए दिशानिर्देश दिए हैं, जिसके तहत ऑनलाइन व्यापारी क्रेडिट कार्ड डेटा को स्टोर नहीं कर पाएंगे, जिससे ग्राहकों को अपने 16 अंकीय नंबर मैन्युअल रूप से हर बार खरीदारी करने पर डालना पड़ेगा। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय बैंक ने कहा है कि वह किसी भी ऑनलाइन मर्चेंट को डेबिट या क्रेडिट कार्ड की जानकारी स्टोर करने की इजाजत नहीं देगा, चाहे उनका सिस्टम कितना भी सुरक्षित क्यों न हो। ऑनलाइन व्यवसाय पहले से ही आरबीआई की गाइडलाइंस को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं, जो सितंबर 2021 से लागू होगा। आरबीआई के अनुसार ई-कॉमर्स साइटों को कार्ड नेटवर्क के साथ गठजोड़ करना होगा जो उन्हें प्रत्येक कार्ड नंबर से जुड़े ‘टोकन’ जारी करेगा। इन टोकन का उपयोग कोई और नहीं कर सकता, इससे उपभोक्ता सुरक्षित रहेंगे।

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