स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को हुआ था और निधन 4 जुलाई 1902 में हुआ था। स्वामी विवेकानंद के शिष्यों ने कहा था कि उन्होंने महासमाधि की अवस्था को प्राप्त कर लिया है। स्वामी विवेकानंद ने भारतीय वेद, योग और अध्यात्म को देश-विदेश में पहुंचाया और हिंदू धर्म का पूरी दुनिया में प्रचार-प्रसार किया।

 उनके विचार आज भी प्रासांगिक बने हुए हैं, जो किसी भी व्यक्ति की निराशा को दूर कर सकते हैं और आशा भर सकते हैं।

जानते है स्वामी जी के कुछ ऐसे ही विचार-

1. उठो और जागो और तब तक रुको नहीं जब तक कि तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते.

2. आप जो भी सोचेंगे, आप वही हो जाएंगे. अगर आप खुद को कमजोर सोचेंगे तो आप कमजोर बन जाएंगे. अगर आप सोचेंगे की आप शक्तिशाली हैं तो आप शक्तिशाली बन जाएंगे.

3. एक नायक की तरह जिएं. हमेशा कहें मुझे कोई डर नहीं, सबको यही कहें कोई डर नहीं रखो.

4. अगर आप पौराणिक देवताओं में यकीन करते हैं और खुद पर यकीन नहीं करते हैं तो आपको मुक्ति नहीं मिल सकती है. अपने में विश्वास रखो और इस विश्वास पर खड़े हो जाओ, शक्तिशाली बनो, इसी की हमें जरूरत है.

5. एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ.

स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर कई मंत्रियों ने भी ट्वीट कर उन्हें नमन किया।

गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट करके कहा कि – “स्वामी विवेकानंद जी को युवाओं की क्षमता और परिवर्तनकारी शक्ति पर बहुत विश्वास था। उनका मानना था कि युवा वर्ग ही आने वाले समय में राष्ट्र के विकास को सही दिशा और शक्ति देगा। उनके आदर्श आज भी युवाओं को राष्ट्रसेवा के प्रति प्रेरित करते हैं। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।”

amit shah tweet

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा कि – “युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत और दुनिया में भारतवर्ष की महानता और अखंडता का संदेश पहुंचाने वाले स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि पर उन्हें भावपूर्ण नमन।”

arvind kejriwal tweet

ऐसे ही कई लोगों ने स्वामी जी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

चलिए जानते है स्वामी विवेकानंद से जुड़ी कुछ रोचक बातें-

1. बहुमुखी प्रतिभा के धनी स्वामीजी का शैक्षिक प्रदर्शन औसत था। उनको यूनिवर्सिटी एंट्रेंस लेवल पर 47 फीसदी, एफए में 46 फीसदी और बीए में 56 फीसदी अंक मिले थे।

2. विवेकानंद चाय के शौकीन थे। उन दिनों जब हिंदू पंडित चाय के विरोधी थे, उन्होंने अपने मठ में चाय को प्रवेश दिया। एक बार बेलूर मठ में टैक्स बढ़ा दिया गया था। कारण बताया गया था कि यह एक प्राइवेट गार्डन हाउस है। बाद में ब्रिटिश मजिस्ट्रेट की जांच के बाद टैक्स हटा दिए गए।

3. एक बार विवेकानंद ने महान स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक को बेलूर मठ में चाय बनाने के लिए मनाया। गंगाधर तिलक अपने साथ जायफल, जावित्री, इलायची, लॉन्ग और केसर लाए और सभी के लिए मुगलई चाय बनाई।

4. उनके मठ में किसी महिला, उनकी मां तक, को जाने की अनुमति नहीं थी। एक बार जब उनको काफी बुखार था तो उनके शिष्य उनकी मां को बुला लाए। उनको देखकर विवेकानंद चिल्लाए, ‘तुम लोगों ने एक महिला को अंदर आने की अनुमति कैसे दी? मैं ही हूं जिसने यह नियम बनाया और मेरे लिए ही इस नियम को तोड़ा जा रहा है।’

5. बीए डिग्री होने के बावजूद नरेंद्रनाथ (विवेकानंद का असल नाम) को रोजगार की तलाश में घर-घर जाना पड़ता था। वह जोर से कहते, ‘मैं बेरोजगार हूं।’ नौकरी की तलाश में जब थक गए तो उनका भगवान से भरोसा उठ गया और लोगों से कहने लगते कि भगवान का अस्तित्व नहीं है।

6. पिता की मृत्यु के बाद उनके परिवार पर संकट आ गया था। गरीबी के उन दिनों में सुबह विवेकानंद अपनी माता से कहते थे कि उनको कहीं से दिन के खाने के लिए निमंत्रण मिला है और घर से बाहर चले जाते थे। असल में उनको कोई निमंत्रण नहीं मिलता था बल्कि वह ऐसा इसिलए करते थे ताकि घर के अन्य लोगों को खाने का ज्यादा हिस्सा मिल सके। वह लिखते हैं, ‘कभी मेरे खाने के लिए बहुत कम बचता था और कभी तो कुछ भी नहीं बचता था।’

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