बागी नेता बढ़ा रहे BJP की टेंशन, कहीं बिगड़ न जाए ‘खेल’

नर्मदा जिले में नंदोद पर कांग्रेस का कब्जा है। इस बीच, भाजपा ने आगामी चुनावों के लिए डॉक्टर दर्शन देशमुख को सीट से मैदान में उतारने की घोषणा की है। घोषणा से असंतुष्ट होने के कारण भाजपा में अपने पद से इस्तीफा देने के बाद वसावा ने शुक्रवार को नंदोद सीट के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।

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Gujarat Elections 2022
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Gujarat Elections 2022: आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा ने टिकट बांट दिए हैं। टिकट से वंचित होने के बाद, राज्य के कई पार्टी नेताओं ने बागी तेवर अपना लिया है और निर्दलीय चुनाव लड़ने की धमकी दी है। पहले ही हिमाचल चुनाव (Himachal Election) में बीजेपी बागियों के तेवर देख चुकी है और कई सीटों पर उसे नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। खबरों के मुताबिक, गुजरात में एक मौजूदा विधायक और कम से कम चार पूर्व विधायकों ने चुनावी मैदान में निर्दलीय उतरने की मंशा जाहिर की है। हालांकि, कुछ बागियों का कहना है कि वो आगे की कार्रवाई से पहले अपने समर्थकों से सलाह लेंगे। इस बीच, भाजपा के पूर्व विधायक और पार्टी के जाने-माने आदिवासी चेहरा हर्षद वसावा ने पहले ही नंदोद सीट से निर्दलीय कैंडिडेट के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है।

हर्षद वसावा पार्टी से नाराज

नर्मदा जिले में नंदोद पर कांग्रेस का कब्जा है। इस बीच, भाजपा ने आगामी चुनावों के लिए डॉक्टर दर्शन देशमुख को सीट से मैदान में उतारने की घोषणा की है। घोषणा से असंतुष्ट होने के कारण भाजपा में अपने पद से इस्तीफा देने के बाद वसावा ने शुक्रवार को नंदोद सीट के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।

उन्होंने कहा, ‘यहां असली बीजेपी और डुप्लीकेट बीजेपी है। हम उन लोगों को बेनकाब करेंगे, जिनके पास प्रतिबद्ध कार्यकर्ता हैं और नए लोगों को अहम पद दिए गए हैं। मैंने अपना इस्तीफा पार्टी को भेज दिया है। इस क्षेत्र के लोग जानते हैं कि मैंने 2002 और 2012 के बीच एक विधायक के रूप में कितना काम किया है।” वहीं, वडोदरा जिले में, एक मौजूदा और दो पूर्व भाजपा विधायक टिकट से वंचित होने के बाद पार्टी के खिलाफ हैं।

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मधु श्रीवास्तव और हर्षद वसावा (फाइल फोटो)

BJP को अपनो से मिली धमकी

वाघोड़िया से छह बार के विधायक मधु श्रीवास्तव, जिन्हें टिकट से वंचित कर दिया गया है, ने कहा कि अगर उनके समर्थक उन्हें चाहते हैं तो वह निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ेंगे। बीजेपी ने इस सीट से अश्विन पटेल को उतारा है। वडोदरा जिले की पादरा सीट से भाजपा के एक अन्य पूर्व विधायक दिनेश पटेल उर्फ ​​दीनू मामा ने भी कहा है कि वह स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेंगे। चैतन्यसिंह जाला को बीजेपी ने टिकट दिया है। इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है।

कर्जन में, भाजपा के पूर्व विधायक सतीश पटेल भाजपा द्वारा मौजूदा विधायक अक्षय पटेल को फिर से टिकट देने से नाखुश हैं। अक्षय पटेल ने 2017 में कांग्रेस के टिकट पर सीट से जीत हासिल की थी। वह 2020 में भाजपा में शामिल हुए और अगला उपचुनाव जीता।

भाजपा में दिग्गजों को किनारे लगाने का रिबाज!

भाजपा के विषय में यह आम राय है कि एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को कमजोर करने के लिए वह अपने क्षेत्रों में कमजोर प्रदर्शन करने वाले लगभग एक तिहाई उम्मीदवारों का टिकट काट देती है। लोकसभा चुनावों के साथ-साथ भाजपा की यह रणनीति कुछ कमोबेश राज्यों और स्थानीय स्तर के नगर निगमों तक में जारी रहती है। 2017 में दिल्ली नगर निगम में भरी एंटी इनकंबेंसी फैक्टर और अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता का मुकाबला पूरी तरह नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर ही किया था। कहा जाता है कि भाजपा के चाणक्य अमित शाह की यह आजमाई हुई रणनीति है जिसे वे समय-समय पर अलग-अलग चुनावों में अपनाते रहे हैं।

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गृह मंत्री अमित शाह

भाजपा ने ‘डैमेज कंट्रोल’ का रास्ता अपनाया

वैसे बागियों की बगावत और नुकसान से निबटने के लिए लिए राज्य भाजपा महासचिव भार्गव भट्ट और गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने शनिवार को वडोदरा का दौरा किया था और स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। उन्होंने विश्वास जताया कि भाजपा वडोदरा की सभी सीटों पर जीत हासिल करेगी। भाजपा ने अब तक कुल 182 में से 166 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है। 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा के लिए चुनाव 1 दिसंबर और 5 दिसंबर को दो चरणों में होंगे। मतों की गिनती 8 दिसंबर को होगी।

90 के दशक से ही गुजरात में बीजेपी का दबदबा

बताते चले कि गुजरात में बीजेपी का दबदबा 90 के दशक से ही बढ़ा हुआ है। इसके अलावा, वर्ष 1995 के बाद से अब तक हुए सभी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन 2017 को छोड़कर बेहद निराशाजनक रहा है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 99 सीटों पर जीत दर्ज की थी। चुनाव आयोग की वेबसाइट से मिले आंकड़ों के मुताबिक, 1998 से लेकर 2017 तक गुजरात में हुए पांच विधानसभा चुनावों में बीजेपी जिन सीटों को जीत नहीं सकी है, उनमें बनासकांठा जिले की दांता, साबरकांठा की खेडब्रह्मा, अरवल्ली की भिलोड़ा, राजकोट की जसदण और धोराजी, खेड़ा जिले की महुधा, आणंद की बोरसद, भरूच की झगाडिया और तापी जिले की व्यारा शामिल हैं।

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