114th Birthday Shaheed Bhagat Singh: भगत सिंह के वो 10 मशहूर नारे, जिसे लोग आज भी रखते हैं याद

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Bhagat Singh
Shaheed Bhagat Singh

आजादी के दिवाने, महान क्रांतिकारी और शहीद ए आजम भगत सिंह (Shaheed Bhagat Singh) का आज 114वां जन्मदिवस है। भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब के लायलपुर में हुआ था। जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान के हिस्से वाले पंजाब में है। भगत सिंह ऐसे क्रांतिकारियों में से एक रहे, जिन्होंने छोटी सी उम्र में ही अंग्रेजी हुकूमत को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। आजादी की इस लड़ाई में उन्होंने अपनी जान न्योछावर कर दी।

“राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है, मै एक ऐसा पागल हूं, जो जेल मे भी आजाद हूं।”- भगत सिंह

महज 23 साल की उम्र में अंग्रेजी हुकूमत का सूर्यास्त करने वाले भगत सिंह का नारा सुनते ही युवाओं में जोश भर जाता है। उनके दस नारे काफी मशहूर हैं।

भगत सिंह के दस नारे

  • इंकलाब जिंदाबाद
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  • प्रेमी,पागल,और कवी एक ही चीज से बने होते हैं।
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  • साम्राज्यवाद का नाश हो।
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  • मैं एक मानव हूं और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझ मतलब है।
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  • निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।
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  • जरूरी नहीं था की  क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो, यह बम और पिस्तौल का पंथ नहीं था।
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  • व्यक्तियों को कुचल कर, वे विचारों को नहीं मार सकते।
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  • बम और पिस्तौल क्रांति नहीं लाते, क्रांति की तलवार विचारों के धार बढ़ाने वाले पत्थर पर रगड़ी जाती है।
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  • क्रांति मानव जाति का एक अपरिहार्य अधिकार है। स्वतंत्रता सभी का एक कभी न ख़त्म होने वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है।
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  • श्रम समाज का वास्विक निर्वाहक है।
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बता दें कि, भगत सिहं ने 8 अप्रैल 1929 में असेंबली में बम फेंका था। उन्होंने ने वहां से भागने से मना कर दिया। खुद को समर्पित कर दिया जिसके बाद उनपर मुकदमा चला और 23 मार्च 1939 को फांसी हो गई।

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