South China Sea में चीन की चाल, लड़ाकू जेट और मिसाइलें की तैनात; कई देशों के लिए बढ़ा खतरा

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South China Sea: दक्षिण चीन सागर में ड्रैगन लगातार ताकत बढ़ा रहा है। ड्रैगन के दुस्साहस से कई देशों की नींद उड़ गई है। दक्षिण चीन सागर में तीन द्वीपों पर सैनिक अड्डे बनाने के बाद चीन ने अब वहां पर पोत और विमान रोधी मिसाइल प्रणाली तैनात कर दी है। इतना ही नहीं बीजिंग ने वहां लड़ाकू जेट भी तैनात किए हैं। चीन के इस कदम से दूसरे देशों के लिए खतरा पैदा हो गया है। अमेरिकी हिंद-प्रशांत कमांडर एडमिरल जोन सी का कहना है कि दक्षिण चीन सागर में चीन ने अपनी क्षमता बढ़ाई है। फरवरी में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के एक पोत ने आस्ट्रेलियाई वायुसेना के विमान पर लेजर से प्रहार भी किया था।

South China Sea: फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया, ताइवान और वियतनाम उठा रहे सवाल

दरअसल फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया, ताइवान और वियतनाम दशकों से पूरे दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावों पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन हाल के दिनों में तनाव कुछ ज्यादा बढ़ा है। इस दौरान समंदर में कई बार टकराव हुए हैं। ड्रैगन उस इलाके पर बार-बार दावा करता है, जिसे ‘नाइन डैश लाइन’ कहा जाता है। चीन का कहना है कि उसके इरादे शांतिपूर्ण हैं।

History and geography suggest that South China Sea should be called  anything but South China Sea

दक्षिण चीन सागर को लेकर अमेरिका साथ भी उसकी तनातनी रहती है। हाल ही में एक अमेरिकी युद्धपोत ने दक्षिण चीन सागर में सैन्य अभियान चलाया था। अमेरिकी युद्धपोत ने चीन के संप्रभुता के दावों को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करार दिया था। समुद्र की स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरा पैदा करने वाला बताया था। चीन की आपत्ति के बावजूद अमेरिकी युद्धपोत ने दक्षिण चीन सागर में नौसेना का ऑपरेशन जारी रखा था।

अमेरिका के इस कदम पर चीन ने कड़ी आपत्ति जताई थी। चीनी सेना ने आरोप लगाय था कि अमेरिका के कदम से चीन की संप्रभुता और सुरक्षा का गंभीर रूप से उल्लंघन हुआ। दक्षिण चीन सागर में चीन ही नहीं ताइवान और वियतनाम देश भी दावा करते हैं। पैरासेल द्वीप समूह पर अपना दावा करते हैं। सैन्य पोत को तीन दावेदारों से अनुमति लेनी होती है या अग्रिम अधिसूचना देने की जरूरत होती है।

दक्षिण चीन सागर में ड्रैगन का फिलीपींस से भी बैर चल रहा है। 7 मार्च को दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस के तटरक्षकों ने कई तस्वीरें जारी की थीं, जिसमें व्हिटसन रीफ़ पर कई चीनी जहाज़ों को एक साथ खड़े देखा जा सकता है। फिलीपिंस ने दावा किया था कि रीफ़ के पास चीन के क़रीब 220 जहाज़ मौजूद हैं। उस वक्त रक्षा मंत्री लोरेन्ज़ाना ने चीन से अपील की थी कि वो अतिक्रमण बंद करे और तुरंत अपने जहाज़ वापस बुलाए।

China President Xi Jinping

फिलीपींस ने इसे भड़काने वाली कार्रवाई करार दिया था। हालांकि चीन ने फिलीपींस के इस दावे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। पिछले साल अगस्त में समुद्री सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक हाई लेवल बैठक हुई थी। बैठक के दौरान दक्षिण चीन सागर में चीनी कार्रवाई को लेकर अमेरिका-चीन के बीच तीखी बहस हुई थी। उस महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुली परिचर्चा की अध्यक्षता की थी। इस बैठक में पीएम मोदी ने चेतावनी दी थी कि विश्व के महासागर और समुद्र, जो सभी देशों और लोगों की साझा धरोहर हैं, कई खतरों का सामना कर रहे हैं।

इतना ही नहीं संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने दक्षिण चीन सागर के हिस्सों पर उसकी बढ़ती आक्रामकता पर चेतावनी भी दी थी। इसके बाद चीन के उप राजदूत दाई बिंग ने बैठक में अमेरिका पर पलटवार किया था। चीनी उप राजदूत दाई बिंग ने कहा था कि दक्षिण चीन सागर में हालात स्थिर हैं। समुद्र की सुरक्षा पर अमेरिका को बोलने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वह समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र समझौते का पक्षकार नहीं है।

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जाहिर है दक्षिण चीन सागर में चीन इलाके के छोटे देशों को ही नहीं धमकाता। अमेरिका को भी सीधे अंजाम भुगतने की चेतावनी देता है। वो बात अलग है कि अमेरिका पर चीनी भभकियों का असर नहीं होता।

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