आतंकवाद को पनाह देकर उसे सुरक्षा देने वाला देश पाकिस्तान धीरे-धीरे पूरे विश्व में अलग-थलग पड़ने वाला है। भारत में हुए सैंकड़ों आतंकवादी हमले के सबूत भारत पाकिस्तान को देता आया है लेकिन पाकिस्तान ने किसी सबूत को नहीं माना और अपनी आतंकवाद की नीतियों पर कायम रहा। अब अफगानिस्तान ने भी पाक के इस रवैये पर कड़ा कदम उठाया हैं। बीबीसी उर्दू की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान दौरे के निमंत्रण को ठुकरा दिया है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पाकिस्तान के प्रमुख नागरिक और सैन्य अधिकारियों द्वारा दिए गए इस्लामाबाद की यात्रा के निमंत्रण को अस्वीकर कर दिया है।

बीबीसी उर्दू की गुरुवार (4 मई) की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति के उप-प्रवक्ता दावा खान मिनापाल ने बताया कि गनी ने पाकिस्तान  द्वारा दिए गए इस्लामाबाद यात्रा के निमंत्रण के ठुकरा दिया है। अफगानिस्तानी राष्ट्रपति ने कड़े शब्दों में कहा है कि वह तब तक पाकिस्तान की यात्रा नहीं करेंगे जब तक वह अफगानिस्तान में आतंकी हमलों के दोषियों को अफगानिस्तान को नहीं सौंप देता।

गनी ने रखी बड़ी शर्त

गनी ने कहा, “मैं पाकिस्तान तब तक नहीं जाऊंगा जब तक मजार-ए-शरीफ, काबुल में अमेरिकन यूनिवर्सिटी और कंधार हमले में शामिल आतंकियों को पाकिस्तान अफगान अधिकारियों को नहीं सौंप देता और अपनी धरती पर अफगान-तालिबान के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं करता।”

गौरतलब है कि पिछले हफ्ते पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल नवीद मुख्तार और राष्ट्रीय असेम्बली के स्पीकर अयाज सादिक ने राष्ट्रपति गनी से मुलाकात की थी और उन्हें पाकिस्तान की यात्रा का निमंत्रण दिया था।

अफगानिस्तान के सबूतों को भी नकारता आया है पाक

बीबीसी उर्दू की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान के अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रपति ने आईएसआई प्रमुख से मुलाकात के दौरान अफगानिस्तान में  हुए हमलों से संबंधित पुख्ता सबूत पाकिस्तान को सौंपे थे जिससे यह स्पष्ट था कि उन हमलों में पाकिस्तान में बैठे आतंकियों का हाथ था। इन सबूतों को सौंपने के साथ अफगानिस्तान ने पाकिस्तान से आग्रह किया था कि वह उन आतंकियों को अफगानिस्तान के हाथ सौंपे। अफगानिस्तानी अधिकारियों ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हम उन्हें लगातार काबुल और अफगानिस्तान के अलग-अलग इलाकों में हुए हमलों में पाकिस्तानी आतंकवादियों के हाथ होने का सबूत देते आए हैं लेकिन पाकिस्तान ने हर बार सबूतों को खारिज कर दिया है।

पाक को नहीं पसंद भारत-अफगानिस्तान की दोस्ती

गौरतलब है कि भारत और अफगानिस्तान दोनों ही पाकिस्तान के इस रैवेये से परेशान हैं। पाकिस्तान में बैठे आतंकी इन दोनों देशों में बड़े-बड़े हमलों और धमाकों को अंजाम देते हैं और पाकिस्तान उन्हें पनाह देता है। यही कारण है कि पाक के इस रवैये पर लगाम कसने के लिए भारत और अफगानिस्तान ने हाथ मिला लिया है जो पाकिस्तान को रास नहीं आ रहा। हाल ही में प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने अमेरिकी सांसदों को बताया था कि पाकिस्तान को अफगानिस्तान का भारत के साथ संबंध अस्वीकार्य है और वह अपने पड़ोसी देशों के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़ने के लिए हक्कानी नेटवर्क एवं तालिबान जैसे संगठनों का इस्तेमाल कर रहा है।

पिछले सप्ताह कांग्रेस की एक सुनवाई के दौरान इंटरनेशनल सिक्योरिटी एंड डिफेंस पॉलिसी सेंटर, रैंड कॉरपोरेशन के निदेशक सेथ जोन्स ने कहा, ‘अफगानिस्तान का सबसे मजबूत क्षेत्रीय सहयोगी भारत है और यह बात पाकिस्तान को अस्वीकार्य है। भारत एक शत्रु है, जबकि अफगान सरकार भारत सरकार की एक सहयोगी है।’

पाकिस्तान भले ही भारत और अफगानिस्तान के सबूतों और दोस्ती को अस्वीकार रहा हो लेकिन दुनिया उसके आतंकवादी रवैये से पूरी तरह परिचित है और अगर पाकिस्तान ने अपने रवैये में बदलाव नहीं किया तो वो दिन दूर नहीं जब वह दुनिया में आतंकवादी देश घोषित कर दिया जाएगा।

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