आतंकवाद के मुद्दे पर जहां एक तरफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की जमकर आलोचनाएं हो रही हैं, वहीँ अब इस आलोचना के सुर पाकिस्तान में भी उठने लगे हैं। पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की बेटी बख्तावर भुट्टो ने अपने देश के संवैधानिक कानून की तीखी आलोचना की है। बख्तावर भुट्टो ने एहतराम-ए-रमजान कानून को हास्यास्पद बताते हुए सवाल किया,’एहतराम-ए-रमजान कानून के अनुसार रमजान के दौरान उपवास न रखने वाले लोगों को तीन महीने जेल की सजा का प्रावधान है लेकिन देश के अंदर जहां आतंकवादी आतंकी हमला कर निर्दोषों की हत्या करते हैं और फिर भी स्वतंत्र घूमते  हैं लेकिन उनपर कोई कार्रवाई नहीं होती है।’

1981 के एहतराम-ए-रमजान कानून में हुआ है संशोधन

बख्तावर भुट्टो ने अपने अगले ट्वीट में पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह जिया-उल-हक द्वारा 1981 में लागू किए गए कानून पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हुए कहा,’पाकिस्तान सरकार ने पिछले हफ्ते एहतराम-ए-रमजान कानून को और कड़ा बनाते हुए इसमें आर्थिक दंड का भी प्रावधान लागू कर दिया।उन्होंने कहा कि रोजा रखना इस्लाम के पांच बुनयादी सिद्धांतों में से एक है लेकिन यह किस शरिया या कुरान में लिखा है कि रोजा न रख पाने वाले नागरिकों को सजा दी जाए। यह इस्लाम नहीं हैं।

हाल ही में नवाज शरीफ सरकार द्वारा 1981 के एहतराम-ए-रमजान कानून में बदलाव करते हुए इस कानून में आर्थिक दंड का प्रावधान जोड़ दिया है। इस नए कानून व्यवस्था के अनुसार रमजान के दौरान खुलेआम शराब-मदिरा का सेवन करने वालों पर पर जेल की सजा के साथ 500 रुपए जुर्माना का प्रावधान लागू होगा। वहीं होटलों और रेस्तरां पर 25 हजार रुपए और टीवी चैनलों व सिनेमा हॉलों पर 50 हजार का जुर्माना निर्धारित किया गया है।

पाकिस्तान के कमजोर नीतियों पर साधा निशाना

बख्तावर भुट्टो ने अपने तीसरे ट्वीट में पाकिस्तान के कमजोर नीतियों पर निशाना साधते हुए कहा,’देश के अंदर आतंकी स्कूली लड़की मलाला यूसुफजई पर जानलेवा हमला करते हैं और टीवी पर मुस्कुराते  हुए दिखाई देते हैं।‘ उनका संदेश साफ था कि पाकिस्तान में मलाला पर हुए हमले में शामिल किसी भी दोषी को सजा नहीं हुई है।

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