बिहार में एक और जुलूस ने कई लोगों का हिंसक बना दिया और कई लोगों को अस्पताल भी पहुंचा दिया। जुलूस के समय पुलिस और प्रशासन का क्या रोल था पता नहीं लेकिन दंगे के बाद उनका रोल लोगों को अस्पताल पहुंचाने और जेल भेजने का था। शायद पुलिस और प्रशासन इसी काम का इंतजार कर रही थी। स्थानीय लोग अपना गुस्सा दूसरों पर निकाल रहे। धर्म, जाति, आस्था, के नाम पर हुई हिंसा को स्थानीय लोग और प्रशासन किसी और समस्या का आधार दे देंगे। बिहार में भागलपुर के नाथनगर में एक जुलूस को लेकर दो समुदायों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद प्रशासन ने इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी है।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नववर्ष की पूर्व संध्या पर निकाली गई जुलूस पर शरारती तत्वों ने झड़प और पत्थरबाजी कर नाथनगर में माहौल बिगाड़ने की कोशिश की। सड़क पर खड़ी एक बाइक में आग लगा दी।  जानकारी के अनुसार विक्रम संवत जुलूस के दौरान मेदनीनगर चौक पर एक पक्ष के लोगों ने गाना बजाने और चौक पर जुलूस ठहरने से मना किया। यहां मामला शांत होने के बाद जुलूस नाथनगर से गुजरा ही था कि मेदनीनगर चौक पर चंपानगर और बाबू टोला के लोग आमने सामने हो गए और एक-दूसरे पर पथराव करने लगे।

ऐसे में विपक्षियों को भी मौका मिल गया। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर लिया है. तेजस्वी ने ट्वीट में लिखा है- ‘हार से घबराये व बौखलाहट में कल शाम भागलपुर में दंगा करवाया गया. अररिया, दरभंगा के बाद अब भागलपुर. नीतीश कुमार इतने असहाय,बेबस और लाचार क्यों है? गृह विभाग नीतीश कुमार के पास है वो माहौल बिगाड़ने वाले ऐसे तत्वों और शक्तियों को प्रायोजित और प्रोत्साहित क्यों कर रहे है?’ अगर भागलपुर के इतिहास के पन्नों को देखें तो पता चलेगा कि यहां हुए सन् 1989 के दंगे में एक हजार से ज्यादा लोग अपनी जान गवां चुके हैं। अक्‍टूबर, 1989 के अंत में भागलपुर व आसपास के इलाकों में रामशिला पूजन पर विवाद को लेकर दंगे हुए थे। वह इतना भीषण दंगा कि गांव के गांव वीराने में बदल गए।

हालांकि इस दंगे में पुलिस ने काबू पा लिया है। कुछ शरारती तत्वों ने एक दोपहिया वाहन को आग के हवाले कर दिया। कुछ दुकानों में भी तोड़फोड़ की गई। सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन हालात बिगड़ते देख पुलिस को ओपन फायरिंग करनी पड़ी। बताया जाता है कि पुलिस पर भी पथराव किया गया।

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