Indian Telecommunication Bill, 2022 का मसौदा जारी, जानिए इस विधेयक से व्हाट्सएप और अन्य OTTs पर कितना होगा प्रभाव

Indian Telecommunication Bill 2022, तीन अलग-अलग अधिनियमों को खत्म कर देगा जिनके तहत अभी दूरसंचार क्षेत्र को नियंत्रित किया जाता है, जिसमें भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम, 1933 और द टेलीग्राफ वायर्स (गैरकानूनी संरक्षण) अधिनियम, 1950 शामिल हैं.

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Indian Telecommunication Bill, 2022 का मसौदा जारी, जानिए इस विधेयक से व्हाट्सएप और अन्य OTTs पर कितना होगा प्रभाव - APN News

22 सितंबर को केंद्रीय दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunication) ने इंटरनेट आधारित ओवर-द-टॉप (Over The Top) दूरसंचार सेवाओं को कानूनी ढांचे में लाने के लिये भारतीय दूरसंचार विधेयक प्रस्ताव 2022 (Indian Telecommunication Bill, 2022) को जारी किया.

भारतीय दूरसंचार विधेयक 2022

भारतीय दूरसंचार विधेयक प्रस्ताव 2022, तीन अलग-अलग अधिनियमों को खत्म कर देगा जिनके तहत अभी दूरसंचार क्षेत्र को नियंत्रित किया जाता है, जिसमें भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम, 1933 और द टेलीग्राफ वायर्स (गैरकानूनी संरक्षण) अधिनियम, 1950 शामिल हैं.

इसके साथ-साथ विधेयक में दूरसंचार विभाग ने सेवा प्रदाताओं (Service Providers) जैसे जियो, एयरटेल आदि को नए लाइसेंस जारी करने पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India-TRAI / ट्राई) की कुछ महत्तवपूर्ण शक्तियों और जिम्मेदारियों को भी कम करने का प्रस्ताव दिया गया है.

OTT के लिए कानून

केंद्र सरकार द्वारा इस प्रस्तावित विधेयक में इंटरनेट आधारित और OTT (बेतार) संचार सेवाएं जैसे- व्हाट्सएप कॉल, फेसटाइम, गूगल मीट आदि को दूरसंचार सेवाओं के तहत शामिल किया गया है. दूरसंचार ऑपरेटरों द्वारा इसको लेकर लंबे समय से मांग की जा रही थी.

अभी टेलीकॉम कंपनियों को सेवाएं देने के लिये लाइसेंस चाहिए होता है, वहीं OTT प्लेटफॉर्म को इसकी जरुरत नहीं होती है. OTT को दूरसंचार सेवाओं के दायरे में आने के बाद OTT और इंटरनेट आधारित संचार सेवाएं प्रदान करने के लिये लाइसेंस चाहिए होगा.

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दूरसंचार विकास कोष (Telecom Development Fund)

इस विधेयक में यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (USOF) जिसको सन 2002 में शुरु किया गया था का नाम बदलकर दूरसंचार विकास कोष (TDF) करने का प्रस्ताव दिया गया है. दूरसंचार विकास कोष के लिये मिली राशि को सबसे पहले भारत की संचित निधि में जमा किया जाएगा.

दूरसंचार विकास कोष का उपयोग ग्रामीण, दूरस्थ और शहरी क्षेत्रों में कनेक्टिविटी सेवाओं को बढ़ावा देने के लिये किया जाएगा. यह नई दूरसंचार सेवाओं के अनुसंधान और विकास, कौशल विकास एवं नई दूरसंचार सेवाओं की शुरुआत के लिए भी मदद करेगा.

भारत का दूरसंचार क्षेत्र

2022 तक 117 करोड़ ग्राहकों के साथ भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार उद्योग है. भारत की कुल टेलीडेंसिटी (Telephone density) (एक क्षेत्र में रहने वाले प्रत्येक सौ व्यक्तियों के लिये टेलीफोन कनेक्शन की संख्या है) 85.11 फीसदी है.

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के प्रवाह के मामले में दूरसंचार क्षेत्र भारत का तीसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है, जो कुल FDI प्रवाह का 6.44 फीसदी का योगदान देता है और प्रत्यक्ष रूप से 22 लाख एवं अप्रत्यक्ष रूप से 18 लाख लोगों को रोजगार देता है.

2025 तक लगभग 100 करोड़ स्थापित उपकरणों के साथ भारत विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार बनने की राह पर है और वर्ष 2025 तक 92 करोड़ मोबाइल ग्राहक होने की उम्मीद है जिसमें से 8.8 करोड़ 5G कनेक्शन होंगे.

भारत नेट परियोजना

भारत नेट परियोजना के तहत देश की 1,87,245 ग्राम पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई गई जै चुकी है, जिनमें से 1,81,888 ग्राम पंचायतों में यह सेवा के लिये तैयार हैं. इसके अतिरिक्त, 4,218-ग्राम पंचायतों को सैटेलाइट मीडिया से जोड़ा गया है, जिससे सेवा के लिये तैयार ग्राम पंचायतों की कुल संख्या 186,106 हो गई है.

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चुनौतियां भी कम नहीं

भारत के टेलिकाम सेक्टर की कई कमजोरियां भी हैं, देश में प्रति उपभोक्ता औसत राजस्व (Average Revenue Per User) में लगातार गिरावट देखी जा रही है, जो घटते मुनाफे और कुछ मामलों में गंभीर नुकसान भी देखने को मिल रहे हैं. वोडाफोन-आइडिया और बीएसएनएल जैसे ऑपरेटर लगातार नुकसान झेल रहे हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2019 में ने टेलीकॉम क्षेत्र से लगभग 92,000 करोड़ रुपए के समायोजित सकल राजस्व (Adjusted Gross Revenue) की वसूली के लिये सरकार की याचिका को मंजूरी दे दी, जिससे देश मे पहले से ही घाटे में चल रहा टेलिकाम कंपनियों की परेशानियां और बढ़ गई.

अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) में ब्रॉडबैंड पहुंच को लेकर प्रस्तुत किए गए श्वेतपत्र (Whitepaper) के अनुसार, भारत में ब्रॉडबैंड की पहुंच केवल 7 फीसदी है.

ओवर-द-टॉप (OTT) क्या है?

ऑडियो और वीडियो होस्टिंग एवं स्ट्रीमिंग सेवाएं जैसे- नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो, हॉटस्टार, सोनी लिव आदि को OTT या ओवर-द-टॉप प्लेटफॉर्म कहते हैं. ये प्लेटफॉर्म कंटेंट होस्टिंग प्लेटफॉर्म के रूप में शुरू हुए थे लेकिन जल्द ही खुद से भी लघु फिल्मों (Short Films), फीचर फिल्मों (Feature Films) के साथ वेब सीरीज बनाने व रिलीज करने में शामिल हो गए के. ये प्लेटफॉर्म कई प्रकार की सामग्री (Content) प्रदान करते हैं जिसे वे इस प्लेटफोर्म पर अपने रुचि के आधार पर देख सकते हैं.

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