गोरखपुर का बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल अब मासूमों की मौत का गढ़ बनता जा रहा है। यहां बीते 48 घंटे में 30 बच्चों की मौत हो गई। ऐसे में एक बार फिर बीआरडी अस्पताल सवालों के घेरे में है। जैसा कि इस अस्पताल में मासूमों की मौत का सिलसिला पिछले कुछ दिनों से नहीं बल्कि पिछले कुछ महीनों से चल रहा है। बता दें कि अगस्त महीने में इसी अस्पताल में 48 घंटे में 42 बच्चों की मौत हो गई थी। बताया जा रहा है अभी तक 1300 बच्चों की मौत सिर्फ बीआरडी के बालरोग विभाग में हुई है।
मेडिकल कॉलेज के इंसेफेलाइटिस वार्ड के पूर्व प्रभारी प्रो. डीके श्रीवास्तव ने इन मौतों की पुष्टि की। खबरों के मुताबिक श्रीवास्तव ने मीडिया से बताया कि 15 नवजात 1 महीने से कम उम्र के थे, वहीं बच्चे हुए 15 बच्चों में से 6, एक महीने से ज्यादा उम्र के थे, जिनकी मौत इन्सेफेलाइटिस से हुई है। बाकी अन्य की मौत कई कारणों की वजह से हुई है।
बता दें कि बीआरडी अस्पताल के बालरोग विभाग में बीते चार दिनों के बीच 55 बच्चों की मौत हो गई। इसमें 29 मौतें नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) में हुईं। इंसेफेलाइटिस समेत अन्य बीमारियों से शेष मौतें हुईं। श्रीवास्तव ने रविवार को बताया कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज का बालरोग विभाग प्रदेश भर में ही नहीं बल्कि देश में बच्चों के बेहतर इलाज के लिए जाना जाता है।
एनआईसीयू में एक से तीन नवंबर के दौरान कुल 65 बच्चे भर्ती हुए। इनमें 22 की मौत हो गई। पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) में 178 बच्चे इस अवधि में भर्ती हुए, जिसमें 21 मौतें हुई। अन्य संस्थानों में भी एनआईसीयू में मौतों का आंकड़ा 30 से 50 फीसदी तक होता है। तीन नवंबर को पीआईसीयू में कुल 185 और एनआईसीयू में 72 बच्चे भर्ती थे। वहीं चार नवंबर को बालरोग विभाग में 12 मौतें हुई। इसमें सात मरीजों ने एनआईसीयू में और पांच ने पीआईसीयू में दम तोड़ा।
गौरतलब है कि यही वो अस्पताल है जहां 10 अगस्त को ऑक्सीजन की कमी की वजह से 36 बच्चों की जान गई थी। उसके कुछ दिन बाद 29 अगस्त को 48 घंटे में 42 मौतें हुई थी।