-दया सागर

फोगाट बहनों और साक्षी मलिक के बाद हरियाणा की एक और छोरी ने खेलों के क्षेत्र में झंडा गाड़ा है। हरियाणा की पूजा कादियान वुशू विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गई हैं। उनसे पहले आज तक किसी भी भारतीय (पुरूषों सहित) ने वुशु जैसे कम लोकप्रिय खेल के विश्व चैंपियनशिप स्पर्धा में स्वर्ण पदक नहीं जीता था।

रूस के कजान में चल रही विश्व चैम्पियनशिप के महिलाओं के 75 किग्रा भार स्पर्धा में पूजा ने स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने फाइनल में मेजबान रूस के इवजेनिया स्टेपानोवा को मात देकर यह उपलब्धि अपने नाम की। इससे पहले उन्होंने सेमीफाइनल में मिस्र की हेबा अबदेल्कादेर को 2-0 से हराया था।

पूजा के अलावा भारत के रमेशचंद्र सिंह मोइरंगथेम, भानू प्रताप सिंह, राजिंदर सिंह और अनुपमा देवी किशाम ने भी अपने-अपने स्पर्धा में कास्य पदक जीतकर भारत का मान बढ़ाया।

सीआरपीएफ दिल्ली में हेड कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात पूजा ने साल 2013 और 2015 की विश्व चैंपियनशिप में भी रजत पदक जीता था। उन्होंने ने 2014 और 2017 के राष्ट्रीय खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता था।

क्या है वुशू

हालांकि वुशू कोई अधिक लोकप्रिय खेल नहीं है, लेकिन चीन और आस-पास के देशों में यह खासा लोकप्रिय है। दरअसल, यह खेल चीनी मार्शल आर्ट्स और कुंग-फू का मिलाजुला रूप है और इस विधा में चीन का ही दबदबा अधिक है। अंतर्राष्ट्रीय वुशू फेडरेशन वुशू विश्व चैंपियनशिप को हर दो साल में आयोजित करता है। इसे सबसे पहली बार साल 1991 में चीन के बीजिंग में आयोजित किया गया था।  खिलाड़ियों को उनके मार्शल आर्ट तरीके और खेल के अन्य नियमों के हिसाब से अंक दिए जाते हैं।

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