महेंद्र सिंह धोनी को टीम इंडिया का करिश्माई कप्तान भी माना जाता है। उन्हें टीम की कप्तानी तब सौंपी गई थी, जब भारतीय टीम की स्थिति काफी नाजुक थी। वह कुछ दिनों पहले ही विश्व कप प्रतियोगिता के पहले दौर से ही बाहर हुई और आत्मविश्वास की कमी से जूझ रही थी। द्रविड़, गांगुली और सचिन जैसे सीनियर खिलाड़ी कप्तानी करने से मना कर चुके थे। चयनकर्ताओ ने भी आश्चर्यजनक फैसला लेते हुए युवा धोनी को टीम का कप्तान बनाया और उसके बाद जो हुआ उसे बस ‘करिश्मा’ ही कहेंगे।

जब धोनी को टीम का कप्तान नियुक्त किया गया तब कई लोगों को खासा आश्चर्य भी हुआ था, क्योंकि टीम में सहवाग, युवराज, हरभजन, जहीर और गंभीर जैसे सीनियर खिलाड़ी भी थे। युवराज सिंह तो काफी लंबे समय तक टीम के उपकप्तान भी थे। इसलिए धोनी के चयन पर लोगों को खासा आश्चर्य था और आज भी लोग इस अबूझ सवाल को जानना चाहते हैं।

एक कार्यक्रम में इस सवाल पर बोलते हुए धोनी ने कहा कि यह काफी मुश्किल सवाल है। धोनी ने कहा कि उस समय मेरे सभी सीनियर खिलाड़ियों ने मेरा साथ दिया था। धोनी ने कहा कि टीम के हालिया प्रदर्शन और फॉर्म को लेकर जब एक सीनियर खिलाड़ी ने मेरी राय पूछी तो मैंने खुलकर अपनी राय दी। शायद यही बात मेरे पक्ष में गई। इसके अलावा मेरे टीम के बाकी खिलाड़ियों के साथ मेरे अच्छे संबंध थे, जो मेरे लिए काम कर गई।

धोनी ने बताया कि जिस मीटिंग में कप्तानी का निर्णय हुआ, उसमें वे शामिल नहीं थे। लेकिन शायद खेल के प्रति समझ और मेरी ईमानदारी ने मुझे कप्तानी दिलाने में मदद दिलाई।

आपको बता दें कि धोनी की कप्तानी में भारत ने 2007 आईसीसी वर्ल्ड टी-20, 2011 वर्ल्ड कप और 2013 आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी का खिताब जीता था और वे आईसीसी के तीनों बड़े खिताब जीतने वाले विश्व के पहले कप्तान बने। इसके अलावा धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया लंबे समय तक टेस्ट में भी नंबर वन रही।

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