अजीत आगरकर और स्टाइलिश बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण के बाद विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने भी टी-ट्वेंटी में धोनी की भूमिका को सवालों के घेरे में लिया। राजकोट में खेले गए दूसरे टी-ट्वेंटी मैच में धोनी ने शुरूआती 20 गेंदों में 18 रन की पारी खेली थी। इस दौरान कप्तान विराट कोहली एक छोर पर अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे और उन्हें दूसरे छोर से सहयोग की आवश्यकता थी। लेकिन धोनी वह अपेक्षित सहयोग नहीं दे पाए और लगभग 200 रन का पीछा कर रही टीम को उनके धीमे शुरूआत का खामियाजा भुगतना पड़ा। बढ़ते रन रेट के कारण कप्तान विराट कोहली भी दबाव में आ गए और तेजी से रन बनाने के चक्कर में आउट हो गए।

तब से लगातार धोनी की आलोचना जारी है। इस मैच के बाद लक्ष्‍मण ने कहा था कि धोनी एक ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्हें गेंद पर नजर जमाने में थोड़ा वक्‍त लगता है। लेकिन टी-ट्वेंटी मैचों में आपके पास इतना समय नहीं होता। राजकोट में ही जब विराट कोहली का स्‍ट्राइक रेट 160 के करीब था तब धोनी का स्‍ट्राइक रेट महज 80 के आसपास था। लक्ष्‍मण ने जोर देकर कहा कि अब लगता है कि समय आ गया है कि धोनी टी-ट्वेंटी में किसी युवा खिलाड़ी के लिए स्‍थान खाली करें। हांलाकि वनडे क्रिकेट में लक्ष्‍मण, धोनी को अब भी टीम इंडिया का एक महत्‍वपूर्ण और उपयोगी सदस्‍य मानते हैं।

वहीं एक अन्य पूर्व क्रिकेटर अजीत आगरकर से सहमत नजर आए। ईएसपीएन क्रिकइंफो से बात करते हुए आगरकर ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत टी-ट्वेंटी में अब अन्‍य विकल्‍पों पर विचार करें। अागरकर ने कहा कि अब धोनी टीम के कप्तान नहीं है कि उनके अचानक से टीम से हटने पर टीम के संतुलन पर फर्क पड़ेगा। आगरकर ने दो टूक कहा कि धोनी पिच पर सेटल होने में कुछ समय लेते हैं और टी20 क्रिकेट में इसके लिए समय नहीं होता है। हालांकि वनडे क्रिकेट में धोनी के स्थान को लेकर आगरकर भी लक्ष्‍मण से सहमत नजर आए और कहा कि वनडे में धोनी अब भी बेस्ट हैं।

टीम इंडिया के वीरू यानी वीरेंद्र सहवाग भी इस बहस में कूद गए। हालांकि वे इतने कड़े नजर नहीं आए और उन्होंने धोनी को टीम से निकालने की बात नहीं कही। उन्होंने कहा कि टी-ट्वेंटी के लिए धोनी को टीम प्रबंधन से अपनी भूमिका के बारे में बात करना चाहिए कि ऐसे हालात में टीम को उनसे किस तरह कि बल्लेबाजी की आशा है। सहवाग ने धोनी को सलाह देते हुए कहा कि कि अगर आप एक बड़े लक्ष्य का पीछा कर रहे हैं तो पहले गेंद से ही आपको गेंदबाजों पर हावी होना होगा। धोनी को भी यही करना चाहिए, ताकि उन पर और टीम दोनों पर दबाव ना आए।

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