भारत की भूमि त्योहारों से हर समय जगमग रहती है। एक के बाद एक त्योहार आता ही रहता है। इस देश में हर त्योहारों में देवी-देवताओं को खासा महत्व दिया जाता है। कहा जाता है कि, यहां पर 33 करोड़ देवी-देवता वास करते हैं।

त्योहारों की शुरूवात मकर संक्रांति से होती है। ये नए साल का पहला त्योहार होता है। इस दिन सूर्य देव मकर यानी अपने पुत्र की राशि में प्रवेश करते हैं। ऐसे में सूर्य देव की पूजा करना व उन्हें अर्घ्य देना बेहद ही शुभ माना जाता है। साथ ही इस शुभ अवसर पर सूर्य देव के मंदिरों के दर्शन करने से विशेष फल मिलता है। ऐसे में सूर्य देव के मंदिरों में काफी भीड़ रहती हैं। आज हम आप को यहां बता रहे हैं कि किन मंदिरों में सूर्य देव करते हैं वास ?

कोणार्क सूर्य मंदिर

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दक्षिण भारत के उड़ीस में सूर्य देव का विशाल मंदिर है। इसे कोणार्क मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि ये उत्तर पूर्वी समुद्र तट पर स्थित है। इस मंदिर का आकार रथ की तरह है। सूर्य देव के रथ पर कुल 12 पहिए और 7 घोडें हैं। इस मंदिर में मध्याकालीन युग की वास्तुकला देखने को मिलती है। अपने आकार और शिल्पकला के कारण यह मंदिर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। 

लोहागर्ल सूर्य मंदिर

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लोहागर्ल सूर्य मंदिर राजस्थान के झूंझन में बसा है। महाभारत काल से भी इस मंदिर के इतिहास को जोड़ कर देखा जाता है। इस मंदिर के बीच बना सूर्य कुंड बेहद ही पुराना है। कहा जाता है कि इस कुंड में पांडवों ने स्नान करके खुद पर लगे ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाई थी।  ऐसे में लोग आज भी इस मान्यता को मानते हुए कुंड में अपनों पापों से छुटकारा पाने के लिए स्नान करने आते हैं। कहानियों के अनुसार कहा जाता है कि सूर्यदेव ने कई सालों तक श्रीहरी की तपस्या करके इस स्थान को पाया था।

झालरापाटन सूर्य मंदिर

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भगवान सूर्य देव का यह मंदिर राजस्थान में स्थित है। माना जाता है कि इसे नाग भट्ट द्वितीय ने विक्रम संवत 872 में बनवाया था। साथ ही इसका निर्माण कोणार्क मंदिर की तरह रथ के आकार का करवाया गया था। साथ ही मंदिर के गर्भगृह में विष्णु जी की चतुर्भुज आकार की मूर्ति स्थापित है। इसके साथ ही मंदिर के अंदर आने पर तीन ओर से तोरण द्वार बनाए गए है। झालरापाटन सूर्य मंदिर द्मनाभ मंदिर, बड़ा मंदिर, सात सहेलियों के मंदिर आदि नामों से भी मशहूर है।

मोढेरा सूर्य मंदिर

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मोढेरा सूर्य मंदिर अहमदाबाद से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है। यह मंदिर कुल 3 हिस्सों में बना है। ऐसे में इसे जोड़ने के लिए चूने का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया गया है। मंदिर के पहले भाग में गर्भगृह, दूसरे में सभामंडप  और  तीसरे हिस्से में सूर्य कुंड का बना है। सूर्य के प्राचीन मंदिरों में एक कहलाने वाला यह मंदिर बेहद ही खास है। इसके आकर्षण का मुख्य केंद्र इसके बनने की वजह है।

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