धनतेरस (Dhanteras) इस बार 2 नवंबर को मनाया जा रहा है। इस मौके पर छोटी सी बड़ी दुकानों पर भारी भीड़ देखने को मिलती है। हर व्यक्ति अपनी हैसियत के अनुसार खरीदारी करता है। कोई सोने-चांदी की खरीदारी करता है तो कोई बर्तन की खरीदारी करता है।
हर साल कार्तिक तेरस यानी 13वें दिन धनतेरस होता है
धनतेरस पर मां लक्ष्मी के साथ महालक्ष्मी यंत्र की पूजा भी होती है। हर साल कार्तिक तेरस यानी 13वें दिन धनतेरस होता है। धनतेरस धनत्रयोदशी (Dhantrayodashi), धन्वंतरि त्रियोदशी (Dhanwantari Triodasi) या धन्वंतरि जयंती (Dhanvantri Jayanti) भी कही जाती है।
Dhanteras पूजन विधि
धनतेरस की शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर, धन्वंतरि भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा के समय घी का दीपक जलाएं। कुबेर को सफेद मिठाई और भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई चढ़ाएं। पूजा करते समय कुबेर मंत्र का जाप करना चाहिए। फिर धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इसके बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करना चाहिए। माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को भोग लगाएं और फूल चढ़ाना चाहिए। धनतरेस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। शास्त्रों में वर्णित है की कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी की रात यम देवता का पूजन कर दक्षिण दिशा की ओर भेंट करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इसलिए इस दिन घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखा जाता है।
शुभ मुहूर्त
धनतेरस पूजा मुहूर्त शाम 06.16 बजे से रात 08.11 बजे तक
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