Gita Jayanti: आज मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) है। आज ही गीता जयंती भी मनायी जाती है। हर साल मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता रहा है। माना जाता है कि गीता ग्रंथ का प्रादुर्भाव मार्गशीर्ष मास में शुक्लपक्ष की एकादशी को ही हुआ था। गीता जयंती के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है। साथ ही साथ मनुष्य को मोक्ष भी मिलता है।
भगवान कृष्ण ने दिया है गीता का उपदेश
गौरतलब है कि विश्व के किसी भी धर्म या संप्रदाय में किसी भी ग्रंथ की जयंती नहीं मनाई जाती है। हिंदू धर्म में भी सिर्फ गीता जयंती मनाने की परंपरा लंबे समय से चलती आ रही है। कहा जाता है कि गीता भगवान के मुख से ही सीधे निकले हैं, अन्य ग्रंथों को किसी इंसान ने किसी न किसी कालखंड में लिखा है।
शुभ मुहूर्त क्या है?
मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 13 दिसंबर की रात 09 बजकर 32 मिनट पर हुई है और यह आज 14 दिसंबर को रात 11 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के मुताबिक गीता जयंती को 14 दिसंबर को मनाया जा रहा है।
गीता के श्लोक में मनुष्य जीवन की हर समस्या का हल है!
लोगों का मानना रहा है कि श्रीमद भगवत गीता के श्लोक में मनुष्य जीवन की हर समस्या का हल छिपा है। गीता के 18 अध्याय और 700 गीता श्लोक में कर्म, धर्म, कर्मफल, जन्म, मृत्यु, सत्य, असत्य आदि जीवन से जुड़े प्रश्नों के उत्तर हैं।
गीता के श्लोक
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
अर्थ: भगवान कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, कर्म करना तुम्हारा अधिकार है परन्तु फल की इच्छा करना तुम्हारा अधिकार नहीं है। कर्म करो और फल की इच्छा मत करो अर्थात फल की इच्छा किए बिना कर्म करो क्यूंकि फल देना मेरा काम है।
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