सिनेमाघर में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाने के अपने पहले के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बदलाव कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अब सिनेमाघर में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाना जरूरी नहीं होगा।  इससे पहले नवंबर 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना और खड़े होना अनिवार्य कर दिया था।

सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान अनिवार्य करने के मामले में मंगलवार (9 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट ने अपने 30 नवंबर 2016 के आदेश में संशोधन कर दिया और फिल्म से पहले राष्ट्रगान बजाने की अनिवार्यता को खत्म दिया। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने मामले का निपटारा करते हुए सरकार की तरफ से गठित कमेटी को राष्ट्रगान को लेकर नियम बनाने की इजाजत दे दी है। हालांकि कोर्ट ने साफ किया कि भारत में नागरिकों को राष्ट्रीय गौरव से जुड़ी चिज़ों का सम्मान करना आवश्यक है…कोर्ट ने कहा कि जो सिनेमा हॉल राष्ट्रगान चलाए वहां लोग खड़े हों लेकिन दिव्यांगों को इससे छूट रहेगी।

इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान को फिलहाल अनिवार्य ना बनाया जाए। कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि सरकार ने अंतर मंत्रालय समिति बनाई है जो इस मामले पर छह महीने में अपने सुझाव देगी। इसके बाद सरकार तय करेगी कि कोई नोटिफिकेशन या सर्कुलर जारी किया जाए या नहीं। केंद्र ने कोर्ट से अपील की थी कि तब तक 30 नवंबर 2016 के राष्ट्रगान अनिवार्य करने के आदेश से पहले की स्थिति बहाल की जाए।

गौरतलब है कि 23 अक्टूबर, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा था कि सिनेमाघरों और अन्य स्थानों पर राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य हो या नहीं, यह वह तय करे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी कहा था कि लोग सिनेमाघरों में मनोरंजन के लिए जाते हैं ऐसे में देशभक्ति का क्या पैमाना हो इसके लिए कोई रेखा तय होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस तरह के नोटिफिकेशन, सर्कुलर या फिर नियम तय करने का काम सरकार का है। कोर्ट पर यह जिम्मेदारी नहीं डाली जानी चाहिए।

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