Zakhir Hussain: उस्‍ताद जाकिर हुसैन, जिनकी जादुई अंगुलियों की थाप तबले पर पड़ते ही हर जुबां बोलती है, वाह उस्‍ताद ! आज मना रहे अपना 71वां जन्‍मदिन

वर्ष 2002 में संगीत की दुनिया में अपने बेमिसाल योगदान पर उन्‍हें पद्म भूषण से सम्‍मानित किया गया। वे भारत में ही नहीं, विदेशों में भी बेहद लोकप्रिय हैं।

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Zakhir Hussain
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Zakhir Hussain: एक ऐसे फनकार, जिनकी अंगुलियां जब तबले पर पड़ती हैं, तो पूर जहां बोलता है वाह उस्‍ताद ! आप समझ ही गए होंगे, दुनियाभर में तबले पर अपने हुनर का जादू बिखेरने वाले मशहूर तबलावादक जाकिर हुसैन आज अपना 71वां जन्‍मदिन मना रहे हैं। 9 मार्च 1951 को मुंबई में जन्‍मे जाकिर हुसैन को संगीत की अनमोल विरासत अपने पिता अल्ला रक्खा खान साहब से मिली। जोकि खुद एक मशहूर तबला वादक थे। हमारी तरफ से उन्‍हें जन्‍मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं! आगे जानिये उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलू।

Zakhir birthday collage
Zakhir Hussain

Zakhir Hussain: तबले की थाप से पूरी दुनिया में रोशन किया भारत का नाम

उस्‍ताद जाकिर हुसैन का संगीत से नाता 3 वर्ष की उम्र से शुरू हो गया, जब उनके पिता उस्ताद अल्लारक्खा खान ने उन्हें पखावज सिखाना शुरू कर दिया था। उस्ताद अल्लारक्खा का नाम अपने दौर के मशहूर तबला वादकों में शुमार था। वे हिंदुस्तान के जाने माने कलाकार थे। उन्होंने जाकिर हुसैन को संगीत की हर बारीकी मसलन सुर से लेकर सोज और साज के साथ सरगम के तराने सिखाए।

12 साल की उम्र से ही जाकिर हुसैन तबले पर अपने हाथों का जादू बिखेर रहे हैं। उनका बचपन मुंबई में ही गुजरा।1973 से लेकर साल 2007 तक उस्ताद जाकिर हुसैन ने अपने तबले की मीठी धुनों से कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समारोह की शान बढ़ाई। वर्ष 1988 में उन्हें पद्म श्री से नवाजा गया। उस वक्‍त ये सम्मान प्राप्‍त करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे, तब वे 37 वर्ष के थे।

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संगीत की दुनिया में बेमिसाल योगदान पर मिला पद्म भूषण
वर्ष 2002 में संगीत की दुनिया में अपने बेमिसाल योगदान पर उन्‍हें पद्म भूषण से सम्‍मानित किया गया। वे भारत में ही नहीं, विदेशों में भी बेहद लोकप्रिय हैं। अपने एलबम्स के जरिये उन्होंने संगीत को प्रांत, देश व सीमाओं के पार पहुंचा दिया। उन्‍हें भारत में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्‍तर पर भी बड़े सम्‍मान म्‍यूजिक जगत के प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘ग्रैमी अवॉर्ड’ से भी वर्ष 1992 और 2009 में नवाजा जा चुका है।

अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ साझा कर चुके हैं मंच
उस्‍ताद जाकिर हुसैन देसी कलाकारों के साथ कई नामी अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ भी मंच साझा कर चुके हैं।
1973 में उनका पहला एलबम ‘लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड’ आया था। वे म्यूजिक सुपरग्रुप ‘तबला बीट साइंस’ के संस्‍थापक सदस्‍य भी हैं। उन्होंने मलयालम फिल्म ‘वनाप्रसथम’ में भारतीय म्यूजिक एडवाइजर के रूप में कंपोज, परफॉर्म किया।

मशहूर ग्रीक अमेरिकन म्‍यूजिक कंपोजर के साथ वर्ष 1997 में जुगलबंदी से बिखेरा जादू
उस्‍ताद जाकिर हुसैन मशहूर ग्रीक अमेरिकन म्‍यूजिक कंपोजर यानी के साथ मंच साझा कर चुके हैं। यानी वर्ष 1997 में भारत कांसर्ट करने के लिए आए थे। इस दौरान उन्‍होंने ताजमहल के पास अपनी पूरी टीम के साथ प्रस्‍तुति दी थी। इसी दौरान उस्‍ताद जाकिर हुसैन ने भी इनके साथ अनूठी जुगलबंदी पेश कर मिसाल कायम की थी। इसके अलावा दूरदर्शन पर प्रसारित मिले सुर मेरा तुम्‍हारा, बच्‍चों के लिए आने वाले शो में भी अपनी कला का जादू बिखेर चुके हैं।

हरिदास वाठकर बनाते हैं उस्‍ताद जाकिर हुसैन के लिए तबला
पिछले 18 वर्षों से हरिदास वाठकर उस्‍ताद जाकिर हुसैन के लिए तबला बनाते आ रहे हैं। उनका कहना है कि उस्‍ताद जी के लिएतबला तैयार करने की बात ही अलग है। बड़ा ही अनूठा अंदाज है उनके काम करने का। तबले के हर बोल पर उनकी अंगुलियां जादू सा काम करतीं हैं। संगीत की दुनिया में उनके योगदान के लिए ही उनका मोम का बुत दिल्‍ली स्थित मदाम तुसाद म्‍यूजियम की शोभा बढ़ा रहा है।

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