गुरु पूर्णिमा के अवसर पर फरीदाबाद के श्रीसिद्धदाता आश्रम में शनिवार को तीन दिवसीय गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन हो रहा है और इस आयोजन में लगभग 28 देशों से श्रद्धालु पहुंच रहे है। शनिवार को महोत्सव के पहले दिन विदेशी श्रद्धालुओं ने गुरु-पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। अनंतश्री विभूषित इंद्रप्रस्थ एवं हरियाणा पीठाधीश्वर स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने शनिवार को महोत्सव का शुभारम्भ करते हुए आश्रम के संस्थापक और गुरु स्वामी सुदर्शनाचार्य जी महाराज की समाधि पर पुष्प अर्चन किया और श्रीलक्ष्मी नारायण दिव्यधाम में पूजा-अर्चना किया। स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने इसके बाद प्रवचन देते हुए कहा कि भक्त की सरलता भगवान को अतिप्रिय होती है। जो लोग किन्हीं विधियों से परमात्मा को प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें निराशा हो सकती है। लेकिन सरल भक्त को भगवान भी मिलते हैं और भगवान की कृपा भी मिलती है। उन्होंने कई उदाहरणों से गुरु की महिमा बताई। उन्होंने गुरु तेग बहादुर के प्राण न्यौछावर करने वाली कथा भी शिष्यों को सुनाई। इसके बाद भजन गायक संजय पारिख ने संगीतमयी भजनों से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

रविवार को आश्रम में दिल्ली एनसीआर के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी, जबकि सोमवार को सेवादार गुरु पूजन करेंगे। श्रद्धालुओं की भारी संख्या को देखते हुए आयोजकों ने बड़ी एलईडी लाइट्स और टेंट्स की व्यवस्था की है।

उत्तराखंड में रुड़की स्थित जीवनदीप आश्रम में भी श्री गुरु पूर्णिमा महोत्सव के तहत श्रीराम जन्मोत्सव कथा का आयोजन दिया गया। इस दौरान असोम के वित्त मंत्री हिमंता विश्व शर्मा भी मौजूद थे और उन्होंने स्वामी यतींद्रानंद गिरी महाराज से आशीर्वाद लेने के साथ ही हवन पूजन भी किया। वहीं हरिद्वार में भी गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर गंगा में आस्था की डुबकी लगाने वालों की काफी भीड़ रही।

Guru Purnimaइसके अलावा देश के अनेक हिस्सों में भी गुरु पूर्णिमा धूमधाम से मनाया गया और इस दौरान जगह-जगह पर जागरण व भंडारे का आयोजन भी किया गया। साथ ही चिकित्सा जांच और रक्तदान शिविर भी लगाया गया।

क्यों मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा

आध्यात्मिक जगत में गुरु पूर्णिमा का एक अलग ही महत्व है। यह पर्व आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को बड़े उल्लास और उत्साह से मनाया जाता है। इसी दिन गुरुओं के गुरु महर्षि वेद व्यास जी का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। इसी कारण गुरु पूर्णिमा को ‘व्यास पूर्णिमा’ भी कहा जाता है।  गुरुओं की पूजा के कारण ही इस पर्व को गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। गुरु पूजन की यह प्रथा अनादि काल से चली आ रही है।

संत कबीर दास ने भी गुरु की महिमा का बखान करते हुए कहा है –

‘गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय।

बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय।।’

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