अखिलेश यादव और राहुल गांधी आज अपने गठबंधन का साझा घोषणापत्र लेकर सामने आये। इस साझा घोषणापत्र के माध्यम से एक बार फिर युवाओं, किसानों और महिलाओं को लुभाने की कोशिश की गई है। शनिवार 11 फरवरी को एपीएन न्यूज़ के ख़ास कार्यक्रम मुद्दा में ”कितने पूरे होते हैं चुनावी वादे?” के विषय पर चर्चा हुई। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में दिनेश सिंह (नेता, बीजेपी), जगदेव सिंह यादव (प्रवक्ता, सपा) ओमकार नाथ सिंह (प्रदेश महासचिव, कांग्रेस) व गोविंद पंत राजू (सलाहकार संपादक एपीएन न्यूज) शामिल थे।           

दिनेश सिंह ने कहा कि महिलाओं को आरक्षण देने की बात कर रहे हैं, सबसे ज़्यादा उत्पीड़न तो महिलाओं के साथ ही होता है। 5 साल तक कुछ करने से इन्हें किसी ने रोका नहीं था, और अब जनता घोषणाओं में नहीं आना चाहती है। झूठे वादों के साथ एक बार सत्ता में आ सकते हैं  और यह समाजवादी पार्टी कर चुकी है। जब ट्रेन से पानी भेजने की बात की जा रही थी। केंद्र सरकार की मदद लेने से आपने ही मना कर दिया था। मेरा आरोप सीधा है, आप उत्तर प्रदेश में फिर से जंगल राज लाना चाहते है। उत्तर प्रदेश के लॉ एंड आर्डर की स्थिति इतनी बदत्तर हो गई है कि यहाँ आम आदमी अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहा है।

जगदेव सिंह यादव ने कहा कि बीजेपी के लोगों ने घोषणा बहुत की पर काम कुछ नहीं किया। उदय योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार बिजली मुहैया करवाती है। केंद्र सरकार ने यूपी में बिजली के मामले में कोई सहयोग नहीं दिया।

ओमकार नाथ सिंह ने कहा कि हर चीज़ का एक समय होता है, यह गठबंधन भी बहुत देर से हुआ था। सपा का घोषणा पत्र जारी हुआ था हमारा भी जारी हुआ था पर एक साझा भी जारी होना चाहिए, तो साथ में जारी करने के लिए, तय करने में वक़्त लग गया। इसमें काफी लाभकारी योजनाऐं हैं, और रही बात मुफ्त की तो जो लोग चीजें खरीदने में सक्षम नहीं होते उनको मुफ्त दिया जाता है। विकास ख़त्म होने वाली प्रक्रिया नहीं है और हमारा देश विकासशील देश है। 

गोविन्द पंत राजू ने कहा कि मुझे लगता है बहुत सोच समझ कर और जानबूझ कर पहले चरण की वोटिंग के दौरान यह साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई है। घोषणा पत्र को जारी करने का समय बहुत सोच समझ कर रखा गया है। ताकि मीडिया के जरिये बहुत लोगों तक बात को पहुँचा सकें। इस घोषणा पत्र में जो दस मुद्दे है उनमे एक मुद्दा जो सबसे महत्वपूर्ण है,वह है महिलाओं को आरक्षण देने की बात है। यह मुद्दा एक व्यवहारिक मुद्दा है। जनता सब समझती है। मुझे लगता है 2017 के चुनाव में कोई भी दल चाहे वो बीजेपी हो, सपा हो, बसपा हो, कांग्रेस हो या अन्य छोटे दल हो उनके हवाई वादों पर जनता यकींन नहीं करने वाली।

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