रेस्टोरेंटस में सुरक्षा उपायों में लापरवाही से आगजनी की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। हाल ही में मुंबई और पूर्व में दिल्ली के उपहार सिनेमा की घटना का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह घटनाएं इसलिए हुंई कि सुरक्षा नियमों का पालन नहीं किया गया। इससे संबंधित लोगों और महकमों को एक संदेश जाता है कि सुरक्षा नियमों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए जिससे भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हो।

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी कर्नाटक लाइव बैंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन की तरफ से दायर याचिका को खारिज करते हुए की। 2005 में बेंगलुरु के कमिश्नर ने रेस्टोरेंटस के लाइसेंस के संबंध में कुछ नियम बनाये थे। रेस्टोरेंटस के मालिकों का कहना था कि यह नियम मनमाने हैं और रोजगार चलाने की आजादी के खिलाफ है। कोर्ट ने होटल और रेस्टोरेंटस के लाइसेंस के लिए जारी बंगलूरु कमिश्नर के 2005 के आदेश को वैध ठहराया। कोर्ट ने कहा कि आम जनता की सुरक्षा और हित एक अकेले व्यक्ति के अधिकारों से ऊपर होते हैं। किसी व्यक्ति के बिज़नेस करने पर कोई रोक नहीं है लेकिन अगर वह अपना बिजनेस चलना चाहता है तो उसे नियम-कानूनों का पालन करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने बेंगलुरु अथॉरिटी से कहा है कि सुरक्षा नियमों का कड़ाई से पालन किया जाए।

जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की पीठ ने ये निर्देश दिए हैं। पीठ ने यह भी कहा कि जिन रेस्टोरेंटस ने अभी तक लाइसेंस नहीं लिया है उन्हें इसके लिए कुछ वक्त दिया जाए लेकिन फिर भी अगर वो लाइसेंस नही लेते हैं तो उन्हें नोटिस देकर उनका रेस्टोरेंटस बंद कर दिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में कहा कि नियमों में रेस्टोरेंटस के आसपास रहने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए तो नियम हैं लेकिन ध्वनि प्रदूषण के बारे में कोई नियम नहीं है। कोर्ट ने कमिश्नर को निर्देश दिया है कि वह सुनिश्चित करें कि रेस्टोरेंटस में लाइव म्यूजिक परफार्मेंस से आसपास रहने वाले लोगों को शोर का सामना न करना पड़े। इसके अलावा कोर्ट ने खासतौर पर किसी भी तरह से आगज़नी की घटना को रोकने के लिए विशेषज्ञों की मदद से समुचित उपाय करने के आदेश दिये हैं।

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