बच्चों की ट्रैफिकिंग और अनाथालय में शोषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (22 फरवरी) को केरल सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए कि चार हफ्ते में हलफ़नामा दाखिल कर बच्चों की जरूरतों और उनकी सविधाओं के बारे में जानकरी दी जाए। कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि आप उनकी सविधाओं के बारे में कुछ नहीं बता रहे हैं कि उनका जीवन स्तर कैसा है उनको क्या सविधाएं दी जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें लग रहा हा कि इस केस में कुछ नहीं हो रहा है और आप कह रहे हैं कि सब कुछ ठीक हैं लेकिन हालात बदतर हैं और प्रारंभिक सविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। इस दिशा में सब कुछ नकारात्क है।

पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के अनाथालयों की स्थिति का जायजा लेने का निर्णय लेते हुए कहा था कि अगर अनाथालयों से बच्चे बेचे जाते हैं तो देश के लिए इससे बड़ा कोई दुर्भाग्य नहीं हो सकता। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा था कि ये जानने की जरूरत है कि अनाथालयों में गोद देने की क्या प्रक्रिया है। अनाथालयों में बच्चे किस स्थिति में रह रहे हैं? लिहाजा पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के लिए कहा था।

पीठ ने विलियम वर्ड्सवर्थ के कथन ‘चाइल्ड इज फादर ऑफ द मैन’ का जिक्र करते हुए कहा कि देश का भविष्य बच्चों के आचरण पर निर्भर करता है। इसमें राज्य की बहुत अहम भूमिका होती है। पीठ ने कहा कि बच्चों के अधिकारों का संरक्षण तो होना ही चाहिए। एनसीपीसीआर की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बच्चे की तस्करी किसी एक राज्य से जुड़ा मसला नहीं है।

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