“नेताओं के लिए अलग नियम नहीं बना सकते”, ED-CBI के खिलाफ विपक्ष की याचिका सुनने से Supreme Court का इनकार

कांग्रेस के अलावा, संयुक्त याचिका पर हस्ताक्षर करने वाले दलों में DMK, RJD, BRS, तृणमूल कांग्रेस, AAP, NCP, शिवसेना (UBT), JMM, JD(U), CPI (M), CPI, समाजवादी पार्टी और जम्मू और कश्मीर राष्ट्रीय सम्मेलन शामिल हैं।

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SC on Agneepath
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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चौदह राजनीतिक दलों द्वारा दायर एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। दरअसल, राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ CBI और ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के मनमाने इस्तेमाल और भविष्य के लिए दिशा-निर्देश मांगने का आरोप लगाने वाली 14 विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि बिना तथ्यात्मक संदर्भ के सामान्य निर्देश जारी नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नेताओं के लिए अलग नियम नहीं बना सकते हैं।

बता दें कि विपक्ष की ओर से वकील अभिषेक सिंघवी ने याचिका दायर की थी। याचिका में 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद सीबीआई और ईडी द्वारा दायर मामलों की संख्या में वृद्धि का उल्लेख किया गया था।

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याचिका में कहा गया है कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के 95 प्रतिशत मामले विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ थे। सिंघवी ने कहा था, “मैं भविष्य के लिए दिशानिर्देश मांग रहा हूं। यह सीबीआई और ईडी दोनों एजेंसियों के दुरुपयोग के खिलाफ 14 दलों की मांग है।”

सिंघवी ने आगे कहा, “दूसरे आंकड़े, 2014 से पहले और 2014 के बाद: मामलों में भारी उछाल आया है। दोषसिद्धि की दर चार से पांच प्रतिशत है। हम गिरफ्तारी पूर्व दिशानिर्देश और गिरफ्तारी के बाद जमानत दिशानिर्देश मांग रहे हैं।”

कांग्रेस के अलावा, संयुक्त याचिका पर हस्ताक्षर करने वाले दलों में DMK, RJD, BRS, तृणमूल कांग्रेस, AAP, NCP, शिवसेना (UBT), JMM, JD(U), CPI (M), CPI, समाजवादी पार्टी और जम्मू और कश्मीर राष्ट्रीय सम्मेलन शामिल हैं। पिछले हफ्ते, केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद को बताया कि कई विपक्षी शासित राज्यों सहित पूरे भारत के नौ राज्यों ने सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है।

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