सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (8 जनवरी) को राजस्थान सरकार को ऐसी तकनीक के बारे में पता लगाने के लिए कहा है जिसमें बिना रेत के इस्तेमाल से घरों का निर्माण किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने राजस्थान में रेत खनन से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई के दौरान ये निर्देश दिया।

सुनवाई के दैरान सुप्रीम कोर्ट के पहले के निर्देश के मुताबिक राजस्थान सरकार की तरफ से एक हलफनामा कोर्ट में प्रस्तुत किया गया था। उच्चतम न्यायालय ने इसका संज्ञान लेते हुए कहा कि भूटान में कोई रेत नहीं है लेकिन वहां फिर भी निर्माण होता है। तो ऐसा क्या है कि वहां बिना रेत के घर बन जाते हैं वह कौन सी ऐसी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं कि निर्माण के लिए उन्हें रेत की जरुरत नहीं पड़ती है। उच्चतम न्यायालय ने कहा जबकि भारत में हर जगह निर्माण के लिए रेत की जरुरत पड़ती है और रेत माफिया इसके लिए उन लोगों की हत्या तक कर देता है जो उन्हें अवैध रेत खनन से रोकने की कोशिश करते हैं। कोर्ट ने राजस्थान सरकार से भूटान द्वारा इस्तेमाल की जा रही तकनीक का पता लगाने के लिए कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार के वकील को तीन हफ्ते के अंदर पर्यावरण से संबंधित मिली अनुमति के बारे में जानकारी देने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने  राजस्थान सरकरा द्वारा रेत खनन के लिए जारी किए गए 82 लाइसेंसों पर रोक को जारी रखा है। 16 नवंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह रोक लगाई थी। इन 82 लाइसेंसों पर रोक अगली सुनवाई तक जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट अब इस पूरे मामले मे छह हफ्ते के बाद सुनवाई करेगा।

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