Supreme Court Diamond Jubilee : सुप्रीम कोर्ट के डायमंड जुबली समारोह में PM मोदी और CJI चंद्रचूड़ ने सभा को किया संबोधित

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Supreme Court Diamond Jubilee : सुप्रीम कोर्ट की आज यानी रविवार (28 जनवरी) को, 75वीं वर्षगांठ को सेलिब्रेट किया जा रहा है। शीर्ष अदालकत की इस डायमंड जुबली समारोह में भारत के मुख्य न्यायधीश(CJI) डी.वाई चंद्रचूड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिस्सा लिया है। पहले CJI चंद्रचूड़ ने समारोह में बैठे मेहमानों और लोगों का संबोधन किया और साथ ही शीर्ष अदालत द्वारा की गई कई डिजिटल पहलों का उल्लेख किया। पीएम मोदी ने भी सभा को संबोधित करते हुए शीर्ष अदालत की 75वीं वर्षगांठ पर सभी को शुभकामनाएं दीं।  

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट की नई वेबसाइट का उद्घाटन भी किया। समारोह में CJI डीवाई चंद्रचूड़ के साथ-साथ हाईकोर्ट्स के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज भी मौजूद रहे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के डायमंड जुबली समारोह को संबोधित करते हुए कहा, “2 दिन पहले भारत के संविधान ने अपने 75 वर्ष में प्रवेश किया है, आज भारत के सुप्रीम कोर्ट के भी 75वें वर्ष का शुभारंभ हुआ है। इस ऐतिहासिक अवसर पर आप सबके बीच आना बहुत सुखद है, मैं आप सभी न्यायविदों को इस अवसर पर शुभकामनाएं देता हूं।”

“भारत में आज बनाए जा रहे कानून कल के उज्ज्वल भारत को और मजबूत करेंगे”-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में आगे कहा, “आज भारत की हर संस्था, हर संगठन, कार्यपालिका हो या विधायिका अगले 25 वर्षों के लक्ष्यों को सामने रखकर काम कर रही है। इसी सोच के साथ आज देश में बड़े-बड़े बदलाव हो रहे हैं.. भारत में आज बनाए जा रहे कानून कल के उज्ज्वल भारत को और मजबूत करेंगे।”

पीएम न आगे कहा, “मुझे इस बात की खुशी है कि देश की सभी अदालतों में डिजिटाइजेशन हो रहा है और चीफ जस्टिस खुद इसे मॉनिटर भी कर रहे हैं। डिजिटल सुप्रीम कोर्ट की मदद से अब अदालत के निर्णय डिजिटल फॉर्मेंट में रहेंगे। इनकी स्थानीय भाषा में अनुवाद करने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है और देश की दूसरी अदालतों मे भी ऐसा होना चाहिए।”

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के डायमंड जुबली समारोह में सभा को किया संबोधित

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ”सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना इस आदर्शवाद की भावना के साथ की गई थी कि कानूनों की व्याख्या एक संवैधानिक अदालत द्वारा कानून के शासन के अनुसार की जाएगी, न कि औपनिवेशिक मूल्यों या सामाजिक पदानुक्रमों के अनुसार। यह इस विश्वास की पुष्टि करता है कि न्यायपालिका को अन्याय, अत्याचार और मनमानी के खिलाफ एक सुरक्षा कवच के रूप में काम करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट समाधान और न्याय की संस्था है।”

 उन्होंने कहा कि ये तथ्य कि लोग बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं, ये दर्शाता है कि हम अपनी भूमिका निभाने में कितने सफल रहे हैं।

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