पद्मावत फिल्म के निर्माता Viacom 18 ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दाखिल की है। इस याचिका में कुछ राज्यों में फिल्म की स्क्रीनिंग को रोकने के खिलाफ अपील की गई है।
सेंसर बोर्ड से कट लगने और फिल्म का नाम पद्मावती से पद्मावत होने के बाद भी एक के बाद एक कई राज्यों ने इस फिल्म का अपने राज्यों में रिलीज करने से मना कर दिया है। गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा की सरकारें ये साफ कर चुकी हैं कि वे अपने अपने राज्यों में इस फिल्म को रिलीज नहीं करने देंगी। इन सभी जगहों पर बीजेपी की सरकार है।
फिल्म को रिलीज करने को लेकर इन राज्यों के अलावा गोवा और उत्तर प्रदेश में भी स्थिति साफ नहीं है। गोवा की सरकार फिल्म को रिलीज करना चाहती है लेकिन वहां की पुलिस कानून व्यवस्था का मुददा उठाते हुए फिल्म को ना दिखाने की बात कह रही है।
उधर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दायर एक याचिका मे कहा गया कि कानून मे जौहर को किसी भी तरीके से महिमामंडित नही किया जा सकता और फिल्म पद्मावत में ऐसा ही कुछ दर्शाया गया है। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को सेंसर बोर्ड से जवाब मांगने को कहा था। लेकिन सेंसर बोर्ड से जवाब नहीं मिलने पर दोबारा कोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ता के आग्रह पर अदालत ने सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी को अवमानना नोटिस जारी करते हुए उनसे तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है।
राजस्थान में करणी सेना, बीजेपी नेताओं और हिंदूवादी संगठनों ने इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप लगाया। राजपूत करणी सेना का मानना है कि इस फिल्म में पद्मिनी और खिलजी के बीच सीन फिल्माए जाने से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंची। उनका आरोप है कि फिल्म में रानी पद्मावती को घूमर नृत्य करते दिखाया गया है। जबकि राजपूत राजघरानों में रानियां घूमर नहीं करती थीं। हालांकि, फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली साफ कर चुके हैं कि ड्रीम सीक्वेंस फिल्म में है ही नहीं।