Supreme Court: FCRA संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हुई सुनवाई, कोर्ट ने रखा अपना फैसला सुरक्षित

0
238
Supreme Court
Supreme Court

Supreme Court को यह तय करना है कि विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 में संसोधन कर बनाए गए विदेशी योगदान (विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2020 में किए गए परिवर्तन संवैधानिक हैं या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा कि यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि विदेशो से धन प्राप्त करने वाले NGO उसका दुरुपयोग तो नहीं कर रहे हैं और उसका उपयोग केवल उस उद्देश्य के लिए किया गया है जिसके लिए प्राप्त किया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि आप इसे पहले सुनिश्चित नहीं कर पाए हैं तो इसे अभी से सुनिश्चित करें।

19 हज़ार NGO अमान्य हो गए

Supreme Court में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि तथ्य यह है कि 19 हज़ार NGO को अमान्य कर दिया गया है। इससे यह पता चलता है कि सिस्टम काम कर रहा है। हम ने FCRA के मूल अधिनियम को नहीं बल्कि केवल जो अधिनियम में संशोधन किए गए हैं उनको चुनौती दी है।

दरअसल केयर एंड शेयर चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष नोएल हार्पर (Noel Harper) और जीवन ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा FCRA के संसोधन को चुनौती देते हुए कहा गया कि यह संसोधन संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन करता है।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि SBI की शाखा में खाता खोलने की बाध्यता स्पष्ट रूप से मनमानी है और समानता के अधिकार का उल्लंघन है और साथ ही यह कोई तर्कसंगत उद्देश्य भी पूरा नहीं करता।

इसके अलावा याचिकाकर्ताओं का यह भी तर्क है कि संशोधन में वैध उद्देश्य का अभाव है और गैर-सरकारी संगठनों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

यह भी पढ़ें: Supreme Court ने SC और ST को पदोन्नति में आरक्षण देने पर अपना फैसला सुरक्षित रखा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here