बिलकिस बानो की याचिका पर SC करेगा सुनवाई, जस्टिस बेला त्रिवेदी ने दूसरी बार खुद को केस से किया अलग

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Bilkis Bano Plea: बिलकिस बानो की याचिका पर SC करेगा सुनवाई, जस्टिस बेला त्रिवेदी ने दूसरी बार खुद को केस से किया अलग
Bilkis Bano Case

Bilkis Bano Plea: देश के सर्वोच्च न्यायालय ने बिलकिस बानो की याचिका पर एक बार फिर सुनवाई करने का फैसला किया है। इस संबंध में अदालत ने 4 जनवरी यानी आज कहा कि गुजरात में साल 2002 में हुए गोधरा कांड के दौरान सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या करने वाले 11 आरोपियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं के साथ बिलकिस बानो की याचिका पर भी सुनवाई की जाएगी।

बता दें कि कोर्ट ने बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई के खिलाफ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करने की दोषियों की मांग को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह बिलकिस की याचिका को मुख्य याचिका मानकर सभी 5 याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। ये सुनवाई मेरिट होगी।

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Bilkis Bano Plea: किन लोगों ने दायर की याचिका

सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ बिलकिस बानो केस से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रही थी। कोर्ट में दायर दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिका को दायर करने में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, सीपीआई नेता सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लाल, लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा शामिल हैं।

Bilkis Bano Plea: दूसरी बार केस से हटीं जस्टिस बेला त्रिवेदी

बिलकिस बानो केस से एक बार फिर जस्टिस बेला त्रिवेदी ने खुद को अलग कर लिया। अब वह इस मामले में सुनवाई नहीं करेंगी। बता दें कि इससे पहले भी वह इस केस से खुद को अलग कर चुकी है। बता दें कि बिलकिस बानो ने 30 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की थी। पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती दी गई थी। वहीं, दूसरी याचिका में कोर्ट से मई में दिए गए अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की गई थी। कोर्ट ने इस पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था।

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Bilkis Bano Plea: सुनवाई के दौरान कोर्ट ने क्या कहा?

सर्वोच्च न्यायालय में दोषियों के वकीलों ने जज के सामने ये दलील दी कि सुभाषिनी अली और महुआ मोइत्रा समेत पांचों याचिकाएं सुनने योग्य नहीं हैं। ये तीसरे पक्ष की याचिकाएं हैं और उनका केस में कोई लोकस नहीं है।

इन दलीलों को सुनने के बाद जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा कि जब पीड़िता खुद यहां तक आई है तो हम पीड़िता की याचिका को मुख्य मानकर सभी याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि जब एक बार पीड़िता यहां आ गई है तो लोकस का मुद्दा खत्म हो जाता है।

क्या है पूरा मामला?

बताते चले कि साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की बिलकिस बानो अपने परिवार के 16 सदस्यों के साथ भागकर पास के गांव छापरवाड के खेतों में छिप गई थी। 3 मार्च को 2002 को वहां 20 से अधिक दंगाइयों ने हमला कर दिया। इस दौरान 5 महीने की गर्भवती बिलकिस समेत कुछ महिलाओं का बलात्कार किया गया। बिलकिस की 3 साल की बेटी समेत 7 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में जांच के बाद 11 लोगों को दोषी पाया गया, जो जेल में सजा काट रहे थे। पिछले साल 15 अगस्त के दिन इन 11 आरोपियों को कोर्ट ने जेल से रिहा करने का आदेश दे दिया था।

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