तलाक के लिए 6 महीने का इंतजार अनिवार्य नहीं, अदालत को शादी तुरंत रद्द करने का अधिकार-SC

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Supreme Court on divorce
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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने विवाह विच्छेद के मामले में अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक कानूनों के तहत विवाह विच्छेद यानी डाइवोर्स के लिए 6 महीने की अवधि को खत्म करते हुए कहा है कि अब कोर्ट डाइवोर्स के लिए तुरंत फैसला दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाह विच्छेद पर फैसला सुनाते हुए गाइड लाइन जारी की। इस गाइड लाइन में मेंटेनेंस, धनराशि आदि का विस्तार से प्रावधान है।

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Supreme Court: विवाह विच्छेद के लिए छह माह की अवधि समाप्त

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर संबंधों को जोड़ना संभव न हो तो अदालत सम्पूर्ण न्याय के लिए अनुच्छेद 142 के तहत मिले अधिकारों के जरिए दखल दे सकती है। अदालत की सुविधा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत गाइड लाइन जारी कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा वैवाहिक संबंधों को अगर जोड़े रखने की संभावना ना हो तो सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्ति का उपयोग कर सकता है और तलाक के लिए कानून द्वारा तय की गई छह महीने की अवधि को समाप्त किया जा सकता है।

जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ को यह तय करना था कि संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को मिली शक्तियों के तहत विवाह विच्छेद के मामले में 6 महीने के कूलिंग पीरियड के बिना भी विवाह विच्छेद के अनुमति दे सकता है? इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तलाक को लेकर एक अहम फैसला लिया है। अब तलाक के लिए विवाहित जोड़ों को छह महीने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का उपयोग कर शादी को तुरंत रद्द किया जा सकता है।

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