क्या सजा-ए-मौत में फांसी देने के अलावा कोई और वैकल्पिक तरीका भी हो सकता है ? इस मामले पर दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान मंगलवार (9 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि दूसरे देशों में मौत की सज़ा के लिए क्या तरीक़े अपनाये जाते है ? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा गया है कि फांसी की जगह मौत की सज़ा के लिए किसी दूसरे विकल्प को अपनाया जाना चाहिए। फांसी को मौत का सबसे दर्दनाक और बर्बर तरीका बताते हुए जहर का इंजेक्शन लगाने, गोली मारने, गैस चैंबर या बिजली के झटके देने जैसी सजा देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि फांसी से मौत में 40 मिनट तक का वक्त  लगता है जबकि गोली मारने और इलेक्ट्रिक चेयर पर केवल कुछ मिनट में ही मौत हो जाती है। याचिका में लॉ कमीशन की रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया है। इस रिपोर्ट में आयोग ने सीआरपीसी की धारा 354(5) में जरूरी संशोधन करने और फांसी के साथ इंजेक्शन के जरिये मौत दिये जाने के वैकल्पिक तरीके को भी अपनाए जाने की सिफारिश की है।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विधायिका सजा-ए-मौत के मामले में फांसी के अलावा कोई दूसरा तरीका भी तलाश सकती है जिसमें मौत शांति में हो। सदियों से ये कहा जाता रहा है कि पेनलेस डेथ की कोई बराबरी नहीं है। कोर्ट भी कहता आया है कि हमारा संविधान दयालु है जो जीवन की निर्मलता के सिद्घांत को मानता आया है। ऐसे में विज्ञान में आई तेजी के चलते मौत के दूसरे तरीके को तलाशा जाए। कोर्ट ने इस मामले में अटॉर्नी जनरल को मदद के लिए भी कहा था।

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