इलाहाबाद हाईकोर्ट के परिसर से मस्जिद हटाने का मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड और मस्जिद वक्फ बोर्ड की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर में ये मस्जिद 1959 से है और इसे यहां से हटाना गलत होगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों से मामला आपस में सुलझाने को कहा। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुझाव दिया कि वहां पर वकीलों के चैम्बर्स के पास काफी जगह खाली है। वहां पर इस मस्जिद को शिफ्ट किया जा सकता है। कपिल सिब्बल ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के सुझाव पर कहा हमे इसपर आपत्ति नहीं है। इसके बाद मामले में चीफ जस्टिस ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी को निर्देश दिया कि एक हफ्ते में इस मामले का निपटारा किया जाए और इस बारे में सुप्रीम कोर्ट को भी सूचना दी जाए।

दरअसल 2017 में इलाहाबाद हाई कोर्ट की जमीन पर अतिक्रमण कर बनी मस्जिद के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने फैसला दिया और मस्जिद को अवैध करार दे दिया। जिसके बाद इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि तीन महीने के भीतर जमीन पर हाई कोर्ट को कब्जा ना सौंपे जाने पर रजिस्ट्रार जनरल पुलिस की मदद से जमीन को अपने कब्जे में ले लें। कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड, मस्जिद की प्रबंध समिति समेत अन्य पक्षकारों को दूसरी जगह मस्जिद निर्माण के लिए डीएम को अर्जी देने का भी आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि हाई कोर्ट के पास खुद जमीन की कमी है। जजों के कमरों के लिए जमीन पर्याप्त नहीं है।

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