Supreme Court: पश्चिम बंगाल में इस साल रामनवमी शोभायात्रा के बीच हुई हिंसा मामले में बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को जांच सौंपने का आदेश दिया था। जिसके खिलाफ राज्य सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इसपर अदालत ने राज्य सरकार की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है।
CJI की अध्यक्षता वाली बेंच में NIA की ओर से SG ने कहा कि आपके द्वारा कहा गया कहा था कि इस मामले में जो छह FIR दर्ज की गई हैं वो रामनवमी की घटना से जुड़ी है या नहीं, हमने उसकी जांच की। पहली FIR जो हावड़ा में दर्ज की गई है उसमे विस्फोटक जैसी चीजों के इस्तेमाल किए जाने का जिक्र किया गया है। इसके अलावा अन्य FIR की भी जांच की गई। जिसमें राज्य पुलिस द्वारा जानबूझ कर विस्फोटकों का जिक्र नहीं किया गया। जबकि उस घटना में लोगों को गंभीर चोट आई।
NIA की ओर से कहा गया कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी राज्य सरकार ने NIA को अभी भी डाक्यूमेंट्स मुहैया नहीं कराए गए हैं। इस घटना को लेकर 30 मार्च से 3 अप्रैल के बीच 6 FIR 4 पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है। वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि यह आरोप दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम किसी को बचा रहै हैं। राज्य सरकार द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपी हर समुदाय के हैं।
CJI ने कहा कि क्या इस बात से इन्कार किया जा सकता है कि वहां विस्फोटकों के इस्तेमाल का आरोप है? इसके जवाब में पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि कोर्ट को यह देखना चाहिए की अगर वहां विस्फोटक इस्तेमाल हुए तो कितनी इंजरी हुई। राज्य के अधिकारियों की जांच पर भरोसा ना करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
बंगाल सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि रामनवमी जुलूस के दौरान चार दिनों मे 6 घटनाएं हुई। वहीं,हाईकोर्ट ने एक FIR मे NIA की जांच का आदेश दिया लेकिन NIA ने सभी जांच करने की बात नोटिफिकेशन में कही।
दरअसल रामनवमी के दौरान हुई हिंसा के मामले की जांच NIA को दिए जाने के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। पश्चिम बंगाल सरकार का कहना है कि एक FIR की जांच NIA करे लेकिन एक FIR के आधार पर अन्य FIR को भी NIA को सौंपना उचित नहीं है।
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