सरकारी खरीद में गड़बड़झाला, CBI Special Court ने आरोपियों को दोषी करार देते हुए 3 वर्ष की सजा सुनाई

CBI Special Court : सीबीआई ने नवंबर-1983 से नवंबर-1985 की अवधि के दौरान निर्धारित दिशानिर्देशों में उल्लंघन पाया। अत्यधिक दरों पर 3.82 करोड़ रुपये की बड़े पैमाने पर स्थानीय खरीद की गई।

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CBI Special Court: प्रयागराज में तैनाती के दौरान सरकारी खरीद में घपले का मामला सामने आया था।जानकारी के अनुसार नवंबर 1983 से नवंबर 1985 के बीच फर्जी कंपनियों के जरिए करोड़ों की सप्लाई दिखाकर गड़बड़झाला हुआ। पूरे मामले की सुनवाई लखनऊ सीबीआई स्पेशल कोर्ट में हुई। कोर्ट ने आरोपियों को दोषी करार देते हुए 3-3 वर्ष की सजा सुनाई। सरकारी खजाने को भारी हानि पहुंचाने पर तत्कालीन कमांडर वर्क्स इंजीनियर, सैन्य इंजीनियरिंग सेवाओं के सैन्य दुर्ग इंजीनियरों, निजी व्यक्तियों आदि सहित आठ आरोपियों को तीन वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई।

सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ने सर्वश्री सत्यपाल शर्मा (लेफ्टिनेंट कर्नल), तत्कालीन कमांडर वर्क्स इंजीनियर (सीडब्ल्यूई), एमईएस, इलाहाबाद/(कर्नल प्रशासन, कमांड स्टेशन, श्रीनगर), वाईके. उप्पल, तत्कालीन सैन्य दुर्ग इंजीनियर (पश्चिम), इलाहाबाद;
के.एस. सैनी (लेफ्टिनेंट कर्नल), तत्कालीन सैन्य दुर्ग इंजीनियर (पश्चिम), इलाहाबाद, वीरेंद्र कुमार जैन, तत्कालीन सैन्य दुर्ग इंजीनियर (पूर्व), इलाहाबा
एसएस. ठक्कर (मेजर), तत्कालीन सैन्य दुर्ग इंजीनियर (वायु सेना), बमरौली, इलाहाबाद एवं विभिन्न काल्पनिक फर्मों के मालिक/साझीदार यथा अशोक कुमार देवड़ा, अनिल कुमार देवड़ा, पवन कुमार देवड़ा को दोषी ठहराया। उन्हें तीन वर्ष की कारावास की सजा सुनाई।

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CBI Special Court.(प्रतीकात्‍मक फोटो)

CBI Special Court: दिशानिर्देशों में उल्लंघन

CBI Special Court: सीबीआई ने नवंबर-1983 से नवंबर-1985 की अवधि के दौरान निर्धारित दिशानिर्देशों में उल्लंघन पाया। अत्यधिक दरों पर 3.82 करोड़ रुपये की बड़े पैमाने पर स्थानीय खरीद की गई।आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल एसपी. शर्मा, तत्कालीन कमांडर वर्क्स इंजीनियर (सीडब्ल्यूई), सैन्य अभियंता सेवा (एमईएस), इलाहाबाद एवं सीडब्ल्यूई, इलाहाबाद के तहत काम करने वाले अन्य कर्मियों और विभिन्न काल्पनिक निजी फर्मों के मालिकों/साझीदारों के विरुद्ध वर्तमान मामला दर्ज किया।जांच के बाद आरोपियों के विरुद्ध सक्षम न्यायालय में आरोप पत्र दायर किया।अदालत ने उक्त आरोपियों को कसूरवार पाया एवं उन्हें दोषी ठहराया।

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