Azam Khan को बड़ी राहत, Supreme Court से मिली अंतरिम जमानत

आजम खान की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत से कहा था कि उनका स्कूल से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि वह इसे नहीं चला रहे हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले आजम खान की जमानत याचिका पर इलाहाबाद HC द्वारा फैसला सुनाने में लंबे समय तक देरी पर नाराजगी व्यक्त की थी और इसे 'न्याय का उपहास' बताया था।

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Azam Khan
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Azam Khan: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को जालसाजी के एक मामले में अंतरिम जमानत दे दी है। दरअसल, बीते दिन मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस एल नागेश्वर राव, बीआर गवई, एएस बोपन्ना की पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने आजम खान की याचिका का विरोध किया और कहा कि वह एक भूमि हथियाने वाले के साथ-साथ एक आदतन अपराधी है।

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Azam Khan की ओर से अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने रखा पक्ष

वहीं आजम खान की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत से कहा था कि उनका स्कूल से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि वह इसे नहीं चला रहे हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले आजम खान की जमानत याचिका पर इलाहाबाद HC द्वारा फैसला सुनाने में लंबे समय तक देरी पर नाराजगी व्यक्त की थी और इसे ‘न्याय का उपहास’ बताया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह समाजवादी पार्टी (सपा) नेता आजम खान को जमीन पर गलत तरीके से कब्जा करने के एक मामले में अंतरिम जमानत दे दी।

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ज़फ़ीर अहमद ने दायर की थी याचिका

बता दें कि ज़फ़ीर अहमद द्वारा दायर एक वर्तमान आवेदन में, यह कहा गया था कि आजम खान को एक अन्य प्राथमिकी में गिरफ्तार किया गया था। रामपुर के कोतवाली से जुड़े एक अन्य मामले में आजम खान को न्यायिक हिरासत में रखा गया है। आवेदन में आगे कहा गया कि एक विधायक जो एक मौजूदा और दस बार के विधान सभा सदस्य, दो बार संसद के सदस्य और कई बार यूपी राज्य के एक पूर्व कैबिनेट मंत्री हैं, उसे परेशान किया जा रहा है। याचिका में इस याचिका के लंबित रहने के दौरान कार्यवाही को रद्द करने और याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत देने की मांग की गई है।

आवेदन के अनुसार, पुलिस थाना कोतवाली, रामपुर, यूपी में दर्ज केस क्राइम नंबर 70/2020 दिनांक 18.03.2020, धारा 420 और 120 बी आईपीसी के तहत दर्ज एक झूठी और तुच्छ प्राथमिकी है जिसमें एक की संबद्धता प्रक्रिया में कुछ कथित कमी है। ट्रस्ट द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों को आपराधिक रंग दिया गया है।

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