जज लोया की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (16 जनवरी) को महाराष्ट्र सरकार ने जज लोया की मौत से संबंधित कागजात सील कवर में दाखिल किए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं को सभी दस्तावेज देने के निर्देश दिए हालांकि महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील हरीश साल्वे ने कहा कि इनमें से कुछ कागज़ात काफी संवेदनशील हैं और इन कागजातों को याचिकाकर्ता किसी के साथ साझा ना करें। इस पर जस्टिस अरूण मिश्रा ने कहा कि कम से कम याचिकाकर्ता को इसकी जानकारी होनी चाहिए कि इन कागज़ातों में क्या है। हालांकि उन्होंने कहा कि कोर्ट को भरोसा है कि वो कागजातों की गोपनीयता को बनाए रखेंगे।

दरअसल महाराष्ट्र के एक पत्रकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर जज लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग की है। इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में भी एक याचिका दाखिल की गई है। इससे पहले पंजाब – हरियाणा हाईकोर्ट बार के 470 सदस्यों ने भी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर जज बी एच लोया की मौत की जांच की मांग की थी। इस मामले पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल एल रामदास ने भी चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। रिटायर्ड जस्टिस बीएच मार्लापल्ली ने जज लोया की मौत की जांच SIT से कराने की मांग की है।

गौरतलब है कि 2005 में सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी को गुजरात पुलिस ने हैदराबाद से अगवा किया। आरोप लगा कि दोनों को फर्जी मुठभेड में मार डाला गया। सोहराबुद्दी शेख के साथी तुलसीराम प्रजापति को भी 2006 में गुजरात पुलिस ने मार डाला। उसे सोहराबुद्दीन मुठभेड का गवाह माना जा रहा था। 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल को महाराष्ट्र में ट्रांसफर कर दिया। शुरुआत में जज जेटी उत्पत इस केस की सुनवाई कर रहे थे लेकिन आरोपी अमित शाह के पेश ना होने पर नाराजगी जाहिर करने पर अचानक उनका तबादला कर दिया गया। फिर केस की सुनवाई जज बी एच लोया ने की और नवंबर 2014 में  नागुपर में उनकी मौत हो गई और उनकी मौत की वजह हार्टअटैक बताया गया।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र सरकार के वकील से राज्य सरकार से निर्देश लाने को कहा था। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह सात दिन बाद इस मामले पर सुनवाई करेगा लेकिन फिलहाल कोई तारीख तय नहीं की गई है।

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