जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के लापता छात्र नजीब अहमद के मामले में CBI ने गुरुवार (21 दिसंबर) को दिल्ली हाइकोर्ट में सीलबंद लिफाफे में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की।  CBI ने कहा की केस में जब्त किए गए मोबाइल डाटा की रिपोर्ट आनी अभी बाकी है। हाइकोर्ट ने CBI को फॉरेन्सिक डेटा जल्द से जल्द पेश करने का आदेश दिया है। अब 27 फरवरी को दिल्ली हाईकोर्ट मामले की सुनवाई करेगा।

नजीब की मां फातिमा नफीस की तरफ से दायर हेबियस कॉर्पस (बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिाका) की सुनवाई के दौरान CBI ने जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस आईएस मेहता की बेंच को  बताया कि आप हमारी स्टेटस रिपोर्ट को देख सकते हैं हमने याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए सुझावों के हर बिंदु पर ध्यान दिया है और हमारे द्वारा उठाए गए अन्य कदमों की जानकारी भी इस स्टेटस रिपोर्ट में दी गई है।

याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि जब CBI ने पूरे मामले की जांच अपने हाथ में ली थी तो नजीब की मां फातिमा ने अपने बयान में एक ऑटो ड्राइवर और पुलिस अधिकारियों के नाम भी लिए थे क्या CBI ने इन सब से पूछताछ की है। इसके अलावा जिन 9 छात्रों के इस मामले में नाम लिए गए हैं उन्होंने पॉलीग्राफ टेस्ट कराने से इंकार कर दिया है।

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि अगर CBI के पास मोबाइल की CFSL रिपोर्ट आ जाती है तो वह आगे बढ़ सकती है और हमारे पास यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि CBI की जांच ठीक नहीं चल रही है। इसलिए इन्हें इनके तरीके से काम करने दिया जाना चाहिए। हम अख़बार की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं कर सकते और हेडलाइंस के आधार पर अपना निष्कर्ष नहीं निकाल सकते।

बतां दे कि नजीब अहमद जेएनयू में M.Sc. का छात्र था। 15 अक्टूबर 2016 को नजीब जेएनयू परिसर से गायब हो गया और तब से अबतक उसका कुछ पता नहीं चल सका है। नजीब का पता लगाने के लिए 10 लाख रुपये का इनाम भी रखा गया है।  लापता होने से एक दिन पहले नजीब के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के छात्रों ने मारपीट की थी। हालांकि ABVP से जुड़े छात्रों का यह कहना है कि नजीब अहमद के लापता होने में उनका कोई हाथ नहीं है।

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