बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति के शरीर पर गुदे टैटू को लेकर एक फैसला दिया है। दरअसल टैटू की वजह से इस शख्स को नौकरी के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इसके बाद इसने कोर्ट का रुख किया और बॉम्बे हाईकोर्ट ने राहत देते हुए इसके नौकरी के आवेदन पर विचार करने को कहा है।

जस्टिस आर एम बोर्डे और जस्टिस आरजी केतकर की बेंच ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) में सिपाही के पद के लिए अयोग्य घोषित किए गए इस व्यक्ति को राहत दी है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि इसके आवेदन पर विचार होना चाहिए क्योंकि अन्य मानकों पर इसे फिट पाया गया था। दरअसल मेडिकल परीक्षा के दौरान परीक्षक ने आवेदक के शरीर पर टैटू पाया और इसे आधार बनाकर उसे अयोग्य घोषित कर दिया।

कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि उसकी बाजू पर जो टैटू बनाया गया है वो धार्मिक प्रथा पर आधारित है और शरीर पर बनाए गए धार्मिक प्रतीक को हटाने के लिए उसे मजबूर नहीं किया जा सकता। यह भी कहा गया कि सशस्त्र बलों में टैटू के संबंध में कुछ अपवाद हैं जिन पर CISF के द्वारा विचार किया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया कि जो मानक भारतीय सेना द्वारा लागू किए जाते हैं वह CISF में भी मान्य होनें चाहिए। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि उसने पहले ही इस टैटू को हटाने की कोशिश की है और इसे लगभग 90% तक मिटा दिया गया है।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मेडिकल फिटनेस के संबंध में अलग-अलग मानक लागू नहीं किए जा सकते। किसी नागरिक की धार्मिक भावनाओं को उचित महत्व दिया जाना चाहिए और याचिकाकर्ता को अयोग्य घोषित करने का कोई कारण नहीं है। इसके अलावा अब टैटू को 90% तक हटा भी दिया गया है।

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