Allahabad High Court: दुष्कर्म और ब्लैकमेल के आरोपी को अग्रिम जमानत देने से HC का इंकार, अर्जी खारिज

Allahabad HC: हाईकोर्ट ने वीडियो फुटेज तैयार कर ब्लैकमेल करने की धमकी देकर नाबालिग बेटी और मां से दुष्‍कर्म करने के आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया है।

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Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वीडियो फुटेज तैयार कर ब्लैकमेल करने की धमकी देकर नाबालिग बेटी और मां से दुष्‍कर्म करने के आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया है। Allahabad High Court का साफ तौर पर कहना है कि आरोप बेहद गंभीर हैं। इस बाबत गैर जमानती वारंट तक जारी हो चुका है।

कुर्की कार्रवाई की जा रही है, जबकि आरोपी फरार है। ऐसे में वह अग्रिम जमानत पाने का हकदार नहीं है। हालांकि कोर्ट ने याची के दो हफ्ते में अदालत में समर्पण कर जमानत अर्जी दाखिल करने पर यथाशीघ्र अर्जी तय करने का निर्देश दिया है।कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

Allahabad high Court
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Allahabad High Court: दुराचार के आरोप में फंसाने का आरोप

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Allahabad High Court: ये आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम श्‍मशेरी ने योगेन्द्र कुमार मिश्र की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है।अपर सत्र न्यायाधीश/पाक्सो वाराणसी ने 30 नवंबर 21 को याची को अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया था। जिस पर यह अर्जी दाखिल की गई थी।
याची के वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल तिवारी का कहना था कि याची शादीशुदा और पारिवारिक है। वहीं शिकायतकर्ता स्कूल में शिक्षिका है और अपनी नाबालिग बेटी के साथ पति से अलग रहती है। याची भी उसी स्कूल में चपरासी है। आरोप लगाया कि आपसी सहमति से संबंध बनाए गए। दोनों साथ रहते हैं।

याची का बेटा शिकायत कर्ता की बेटी भाई बहन जैसे रहते हैं।Allahabad High Court में इस बाबत सबूत के तौर पर फोटोग्राफ और चैट भी दिखाई गई।याची का कहना था कि उसने शिकायतकर्ता के नाम से जमीन खरीदने का करार भी किया है। चूंकि वह शादीशुदा है, इसलिए उससे शादी नहीं कर सकता।

याची ने विक्रय करार के पैसे वापस ले लिए तो उसे दुराचार के आरोप में फंसाया गया है।सरकारी वकील का कहना था कि याची विवेचना में सहयोग नहीं कर रहा है। इसीलिए वारंट जारी किया गया है और कुर्की के आदेश जारी किए गए हैं।

Allahabad High Court बोला, याची जमानत पाने का हकदार नहीं

Rape Case of Minor
Rape Case of Minor

नाबालिग लड़की ने Allahabad High Court में याची पर दुष्कर्म करने का गंभीर आरोप लगाया है।कोर्ट ने कहा कि अग्रिम जमानत देते समय दो बातें ध्यान में रखनी चाहिए। पहली अपराध की विवेचना प्रभावित न हो आरोपी का उत्पीड़न न होने पाए और गलत तरीके से निरूद्ध न किया जाए। दूसरे आरोप ठोस तथ्यों पर आधारित हों न कि सामान्य आरोप हो।

Court ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा कि आरोपी पूछताछ के लिए उपलब्ध नहीं हो रहा हो, फरार हो, तो अग्रिम जमानत पाने का हकदार नहीं हैं।आरोपी के खिलाफ वारंट जारी है, तामील नहीं किया जा सका है, कुर्की शुरू की गई है तो भी वह अग्रिम जमानत पाने का हकदार नहीं हैं।

कोर्ट ने कहा याची ने पहले भरोसा जीता, फिर भरोसा तोड़ दिया। मां के साथ नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म किया।वीडियो फुटेज से ब्लैकमेल करने लगा। विवेचना में सहयोग नहीं कर रहा।लिहाजा कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी।

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