इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक के बावजूद रामपुर में कोसी नदी से अवैध खनन जारी रखने के मामले मे कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने तत्कालीन दो जिलाधिकारियों को तत्काल निलंबित कर उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई करने का मुख्य सचिव को निर्देश दिया है और 16 जनवरी को इस मामले में रिपोर्ट मांगी है।

अवैध खनन में जिले के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की भूमिका की भी जांच के लिए कहा गया है और दोषी अधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही कर उन्हें दण्डित करने का भी आदेश दिया है।

यह आदेश चीफ जस्टिस डी बी भोसले और जस्टिस एम के गुप्ता की खण्डपीठ ने मकसूद की जनहित याचिका पर दिया है। याचिकाकर्ता का कहना था कि ठेकेदार को बालू स्टोरेज का लाइसेंस दिया गया। जबकि 2015 में ही हाईकोर्ट ने अवैध खनन की जांच करने और दोषियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया था। कोर्ट के सख्त आदेश की अनदेखी की गयी और जांच न कर मामले पर पर्दा डाला गया। दागी ठेकेदार को अवैध तरीके से स्टोरेज लाइसेंस दे दिया गया। मामले में हाईकोर्ट ने रामपुर के डी. एम. शिव सहाय अवस्थी को भी तलब किया और उनसे पूछा गया कि दागी ठेकेदार को स्टोरेज का लाइसेंस कैसे दे दिया गया। डी.एम. ने कोर्ट को बताया कि 16 जुलाई 2016 को दिए गए लाइसेंस को नवंबर 2017 में निरस्त कर दिया गया।

याचिकाकर्ता ने कहा कि 2015 में कोर्ट ने अवैध खनन के मामले में एक महीने में जाच के आदेश दे दिए थे लेकिन उसकी अनदेखी कर सरकार ने दोषियों को बचाने का प्रयास किया। इतना ही नहीं ठेकेदार को स्टोरेज लाइसेंस दे दिया गया, जिसकी आड़ में कोसी नदी से अवैध खनन का धंधा पुलिस अधिकारियों की नाक के नीचे चलता रहा।

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