प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में  ब्रह्मपुत्र नदी के पानी का रंग परिवर्तित को लेकर सवाल उठाए। पीएम मोदी ने विदेश मंत्रालय और जल संसाधन मंत्रालय से ब्रह्मपुत्र नदी के पानी काले होने के मामले निर्देश दिए हैं कि इस नदी के पानी के कालेरंग में बदलने के कारण का पता लगाऐं। मोदी ने  इस मामले में आवश्यक प्रयास करने के लिए भी आदेश दिए। साथ ही इस संबंध में उपचारी कदम उठाने को भी कहा है।

इस बैठक में केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, असम के सीएम सर्बानंद सोनोवाल भी मौजूद रहे। पीएम ने असम के सीएम को इस बात के लिए आश्वस्त किया कि केंद्र ब्रह्मपुत्र नदी के पानी के काला होने के मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है। साथ ही इस मामले में केंद्रीय जल आयोग को भी शामिल किया जाएगा। इस संबंध में जल संसाधन मंत्रालय को युद्ध स्तर पर उपचारी कदम उठाने का निर्देश दिया गया है

जल संसाधन मंत्रालय ने मामले में, युद्ध स्तर पर उपचारी प्रयास करने का आदेश दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मांग की है कि, इस मामले में, विशेषज्ञों से जांच करवाई जाए और पानी की टेस्टिंग भी की जाए। आखिर,किस कारण से इस नदी का रंग काला हो रहा है। यह जानना बेहद आवश्यक है।

वहीं दूसरी तरफ भारत का दावा ये भी है कि चीन की सियांग नदी से काला, मिट्टी और सीमेंट वाला प्रदूषित पानी अरुणाचल प्रदेश आ रहा है। अरुणाचल प्रदेश की शियांग नदी के पानी को चीन प्रदूषित और डायवर्ट कर रहा है। सैटेलाइट तस्वीरों से भारत के दावों को बल मिलता है कि किस तरह चीन शियांग नदी के पानी को डायवर्ट और प्रदूषित कर रहा है।

सैटेलाइट इमेजरी एक्सपर्ट कर्नल विनायक भट (रिटायर्ड) ने एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा, ‘चीन ने ब्रह्मपुत्र का पानी पूरी तरह रोक दिया है। अपने इलाके में 60 किमी भीतर चीन ने 200 मीटर चौड़ा और 900 मीटर लंबा बांध बनाया है। यह बांध नदी के समानांतर है।’

भट आगे कहते हैं कि पूरे पानी को पहाड़ों के नीचे-नीचे टनल के जरिए उत्तर दिशा में एक निश्चित प्वाइंट पर बाहर भेजा जा रहा है। ये टनल 50 मीटर चौड़ा है और नदी का पूरा पानी इसके जरिए डायवर्ट किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘इसका मतलब ये है कि चीन ब्रह्मपुत्र के पूरे पानी के साथ कुछ कर रहा है और इसका असर आने वाले दिनों में भारत के किसानों और कृषि व्यवस्था पर पड़ने वाला है. अगर चीन पानी को डायवर्ट कर रहा है, जोकि एक केस है, तो जाहिर है कि भारत के हिस्से के पानी पर इसका असर पड़ने वाला है. इसकी मात्रा कम हो सकती है.’

भट ने आगे कहा, ‘जो आज हो रहा है उसका मतलब ये है कि इस प्रोजेक्ट पर चीनी पॉलिमर रेजिन ऐडहीसिव (गोंद या चिपकाने वाला पदार्थ) का उपयोग कर रहे हैं, जिसका इस्तेमाल धूल को खत्म करने के लिए किया जाता है। यह सब पानी के साथ बह रहा है और जो कुछ भी वे टनल में कर रहे हैं उसको नदी के पानी में बहा रहे हैं।’

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