‘द हिंदुत्व पैराडाइम’ में एकात्म मानववाद की नए सिरे से व्याख्या करते हैं राम माधव

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नेता राम माधव कई किताबें लिख चुके हैं। उनकी ही एक किताब है ‘द हिंदुत्व पैराडाइम’ , जो पाठकों को हिंदुत्व को समझाने की कोशिश करती है। अगर आप हिंदुत्व को समझना चाहते हैं तो यह किताब आपकी मदद कर सकती है। राम माधव इस किताब में लिखते हैं कि हिंदुत्व एक भारतीय दृष्टिकोण है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का परिचय देते हुए लेखक बताते हैं कि कैसे उन्होंने ‘एकात्म मानववाद’ का दर्शन विकसित किया था।

उदारवाद, पूंजीवाद, समाजवाद या साम्यवाद पश्चिमी विचार हैं। ऐसे में भारतीय संदर्भ में यह इतने कारगर साबित नहीं हो सकते। दुनिया इन सभी विचारधाराओं और उनके बताए रास्ते को आजमा के देख चुकी है। इसलिए अब एक ऐसी विचारधारा की आवश्यकता है जो भारतीय समस्याओं का समाधान दे सके। दुनिया भी समस्याओं के समाधान के लिए आज भारत से उम्मीदें रखती है।

दरसअल दीनदयाल उपाध्याय ने प्राचीन भारतीय ग्रंथों और परंपराओं के ज्ञान से काफी प्रेरणा ली थी। उनका ‘एकात्म मानववादी दर्शन’ मानव, समाज, प्रकृति और ईश्वर पर किए गए चिंतन का नतीजा था। अपने चिंतन में उपाध्याय धर्म को सर्वोच्च बताते हैं , जिसमें कि सबकी भलाई निहित है। लेखक बताते हैं कि भारत एक जीवंत राष्ट्र है जिसकी एक आत्मा भी है।

इस किताब में नेहरूवादी दृष्टिकोण की कमियों को भी उजागर किया गया है। साथ ही किताब बताती है कि धर्म और धर्मनिरपेक्षता , राष्ट्र और राष्ट्रीयता का जो पश्चिमी दृष्टिकोण है उसके तहत भारतीय आवश्यकताओं को नहीं देखा जाना चाहिए। मसलन धर्म को भी उसकी संकीर्णता में नहीं देखना चाहिए। हमें मूर्खों की तरह पश्चिमी विचारों की नकल से बचना चाहिए और बुद्धिमानी से किसी विचार पर चिंतन करना चाहिए।

द हिंदुत्व पैराडाइम, में पंद्रह निबंध हैं। पहले तीन अध्याय दीन दयाल के जीवन, उस काल के दौरान देश की राजनीतिक स्थिति और एकात्म मानववाद पर दीन दयाल के चार व्याख्यानों से संबंधित हैं। शेष बारह अध्याय एकात्म मानववादी दर्शन के विभिन्न पहलुओं से संबंधित हैं। लेखक बताते हैं कि भारतीय संस्कृति की विशेषता यह है कि यह जीवन को एक एकीकृत के रूप में देखती है। इसका एक एकीकृत दृष्टिकोण है।

किताब में बताया गया है कि कैसे लोकतांत्रिक व्यवस्था बिना नैतिक उद्देश्य के लोगों के हित में काम नहीं कर सकती। साथ ही एकीकृत आर्थिक कार्यक्रम और दृष्टिकोण के बारे में भी बताया गया है। लेखक राम मंदिर बनाए जाने और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को सांस्कृतिक एकीकरण का हिस्सा बताते हैं। इसके अलावा मानवीय गरिमा और मानवाधिकार के बारे में भारतीय दृष्टिकोण पर रोशनी डालते हैं। भारतीय परंपरा नारी के बारे में क्या कहती है इसके बारे में भी लेखक ने अंतिम अध्याय में बताया है।

किताब के बारे में

लेखक-राम माधव
प्रकाशक-रूपा पब्लिकेशन
पेज संख्या- 422
मूल्य-395 रुपये

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